RBI की गारंटी: ये 3 बैंक हैं सबसे भरोसेमंद
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI Update) ने 31 मार्च 2024 तक के आंकड़ों के आधार पर डी-सिब्स बैंकों की सूची बनाई है। इसमें शामिल बैंकों को घरेलू वित्तीय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को "डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपोर्टेंट बैंक्स" (Domestic Systemically Important Banks) का दर्जा दिया है। बुधवार, 13 नवंबर को आरबीआई ने इन बैंकों की सूची जारी की, जिसमें बताया गया कि ये बैंक भारतीय वित्तीय सिस्टम के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
डी-सिब्स की लिस्ट में शामिल बैंक देश की आर्थिक व्यवस्था में इतने अहम माने जाते हैं कि इनके डूबने से पूरी अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है।
इस कारण, इन बैंकों को सबसे सुरक्षित (India's safest bank) और स्थिर माना जाता है। अगर इन बैंकों में कोई वित्तीय संकट आता है, तो सरकार भी इन्हें बचाने के लिए कदम उठा सकती है, ताकि देश की आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर न पड़े। पिछले साल भी इन्हीं तीन बैंकों को यह दर्जा मिला था, जो इस बात को दर्शाता है कि ये बैंक वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI Update) ने 31 मार्च 2024 तक के आंकड़ों के आधार पर डी-सिब्स बैंकों की सूची बनाई है। इसमें शामिल बैंकों को घरेलू वित्तीय प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे बैंकों को अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET1) बनाए रखना होता है, ताकि वे वित्तीय जोखिमों को बेहतर तरीके से संभाल सकें।
D-SIBs की लिस्ट में आने वाले बैंकों के लिए यह CET1 पूंजी अधिक जरूरी है, जिससे उनके पास जोखिम प्रबंधन के लिए पर्याप्त संसाधन बने रहते हैं। इसका मकसद यह है कि इन बैंकों में किसी भी संकट के दौरान वित्तीय स्थिरता बनी रहे और आर्थिक प्रणाली पर नकारात्मक असर न पड़े।
2014 में लागू हुआ था D-SIBs का कॉन्सेप्ट
भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली बार घरेलू सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण बैंकों की सूची तैयार करने यानी डी-सिब्स की अवधारणा को 10 साल पहले वर्ष 2014 में अपनाया था। 2015 में भारतीय स्टेट बैंक (state Bank of India) और फिर अगले साल वर्ष यानी 2016 में आईसीआईसीआई बैंक को इस सूची में रखा गया। 2017 में एचडीएफसी बैंक की एंट्री इस लिस्ट में हुई।
किस बकेट में है कौन सा बैंक
आरबीआई (RBI) ने इस बार भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को बकेट-4 में रखा है, जिसके तहत इसे 0.80 प्रतिशत अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET1) बनाए रखना होगा। इसी तरह, एचडीएफसी बैंक को बकेट-2 में रखा गया है, जिसके लिए इसे 0.40 प्रतिशत ज्यादा CET1 पूंजी मेंटेन करनी होगी। आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) को बकेट-1 में रखा गया है, जिसके तहत उसे CET1 बफर में 0.20 प्रतिशत अतिरिक्त बनाए रखना होगा।
ये नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। इसका मकसद यह है कि इन बैंकों के पास किसी भी वित्तीय संकट की स्थिति में पर्याप्त पूंजी हो, जिससे वे देश की आर्थिक स्थिरता में योगदान दे सकें और संभावित जोखिमों का सामना कर सकें।