UPI पर चार्ज की खबर ने मचाई हलचल, जानिए पूरा सच!

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UPI पर चार्ज की खबर ने मचाई हलचल, जानिए पूरा सच!

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Photo Credit: upuklive


डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल आज हर घर में आम बात हो गई है। चाहे छोटी-मोटी खरीदारी हो या फिर बड़ा लेन-देन, लोग अब नकदी की जगह मोबाइल और कार्ड पर भरोसा करने लगे हैं। लेकिन अब खबर आ रही है कि सरकार डिजिटल पेमेंट को महंगा करने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो सरकार एक बार फिर से चार्ज लगाने की योजना बना रही है, जिससे आम लोगों की जेब पर असर पड़ सकता है। यह खबर सुनकर लोग हैरान हैं, क्योंकि पिछले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए थे। अब इस नए नियम से क्या बदलाव आएंगे, यह देखना अभी बाकी है।

क्या है एमडीआर चार्ज का मामला

इस खबर का सबसे बड़ा हिस्सा एमडीआर यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट चार्ज से जुड़ा है। एमडीआर वह शुल्क है जो दुकानदारों को डिजिटल पेमेंट स्वीकार करने के लिए बैंकों या पेमेंट कंपनियों को देना पड़ता है। कुछ साल पहले सरकार ने इसे खत्म कर दिया था ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग डिजिटल लेन-देन की ओर बढ़ें। खासकर यूपीआई और रूपे डेबिट कार्ड के जरिए होने वाले भुगतान को मुफ्त रखा गया था। लेकिन अब खबर है कि सरकार फिर से इस चार्ज को लागू करने की सोच रही है। अगर ऐसा हुआ तो दुकानदारों पर बोझ बढ़ेगा और हो सकता है कि वे यह चार्ज ग्राहकों से वसूलें, जिससे डिजिटल पेमेंट महंगा हो जाएगा।

यूपीआई और रूपे कार्ड पर असर

यूपीआई और रूपे डेबिट कार्ड आज डिजिटल पेमेंट की रीढ़ बन चुके हैं। चाहे किराने की दुकान हो या ऑनलाइन शॉपिंग, लोग इनका खूब इस्तेमाल करते हैं। पिछले कुछ सालों में इनके जरिए लेन-देन की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने इसे मुफ्त रखकर लोगों को प्रोत्साहन दिया था, लेकिन अब अगर एमडीआर चार्ज फिर से शुरू होता है तो इसका सीधा असर इन सेवाओं पर पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि छोटे दुकानदार इस चार्ज को ग्राहकों पर डाल सकते हैं, जिससे सामान खरीदना या बिल चुकाना महंगा हो सकता है। इससे डिजिटल पेमेंट का आकर्षण कम होने का डर भी है।

लोगों की जेब पर कितना बोझ

अगर सरकार यह नया नियम लागू करती है तो इसका असर हर आम आदमी की जिंदगी पर पड़ सकता है। अभी तक यूपीआई से पैसे भेजना या दुकान पर भुगतान करना मुफ्त था, जिसकी वजह से लोग इसे खूब पसंद करते थे। लेकिन चार्ज लगने से हर लेन-देन पर कुछ पैसे कट सकते हैं। माना जा रहा है कि यह शुल्क 1 से 2 प्रतिशत तक हो सकता है। यानी अगर आप 1000 रुपये का सामान खरीदते हैं तो आपको 10 से 20 रुपये अतिरिक्त देने पड़ सकते हैं। छोटे-छोटे लेन-देन में यह राशि भले ही कम लगे, लेकिन महीने के अंत में यह जेब पर भारी पड़ सकती है।

डिजिटल इंडिया के सपने पर सवाल

सरकार ने डिजिटल इंडिया के तहत देश को कैशलेस बनाने का सपना देखा था। इसके लिए कई योजनाएं शुरू की गईं, जैसे यूपीआई को बढ़ावा देना, रूपे कार्ड को लोकप्रिय बनाना और छोटे व्यापारियों को डिजिटल पेमेंट अपनाने के लिए प्रेरित करना। मुफ्त लेन-देन इस सपने का बड़ा हिस्सा था, जिसने लोगों को नकदी छोड़ने के लिए प्रेरित किया। लेकिन अब अगर चार्ज लगता है तो यह सवाल उठ रहा है कि क्या डिजिटल इंडिया का लक्ष्य कमजोर पड़ जाएगा। लोग फिर से नकदी की ओर लौट सकते हैं, खासकर छोटे शहरों और गांवों में जहां हर पैसे की कीमत समझी जाती है।

व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ेंगी

इस नए नियम से सबसे ज्यादा परेशानी छोटे व्यापारियों को हो सकती है। बड़े दुकानदार तो शायद इस चार्ज को सह लें, लेकिन छोटे दुकानदारों के लिए यह मुश्किल होगा। वे या तो खुद यह बोझ उठाएंगे या फिर ग्राहकों से ज्यादा पैसे मांगेंगे। दोनों ही हालात में उनकी कमाई पर असर पड़ सकता है। पहले ही महंगाई और बढ़ती लागत से जूझ रहे व्यापारी अब इस नए नियम से परेशान हैं। कुछ व्यापारियों का कहना है कि अगर चार्ज ज्यादा हुआ तो वे डिजिटल पेमेंट लेना बंद कर सकते हैं, जिससे ग्राहकों को भी नकदी साथ रखनी पड़ेगी।

क्या कहते हैं जानकार

जानकारों का मानना है कि सरकार का यह कदम डिजिटल पेमेंट सिस्टम को मजबूत करने के लिए हो सकता है। उनका कहना है कि मुफ्त सेवाओं को चलाने के लिए बैंकों और पेमेंट कंपनियों को खर्च उठाना पड़ता है, जिसके लिए चार्ज जरूरी है। लेकिन साथ ही वे यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि अगर यह शुल्क ज्यादा हुआ तो लोग डिजिटल पेमेंट से दूर हो सकते हैं। जानकार सुझाव दे रहे हैं कि सरकार को इस नियम को लागू करने से पहले लोगों और व्यापारियों की राय लेनी चाहिए ताकि सही संतुलन बनाया जा सके।

लोगों की प्रतिक्रिया और भविष्य

इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। कुछ लोग इसे गलत बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि सरकार को पहले लोगों को तैयार करना चाहिए था। फैंस और आम लोग इस बात से चिंतित हैं कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका क्या असर पड़ेगा। आने वाले दिनों में सरकार इस पर कोई आधिकारिक घोषणा कर सकती है, जिससे साफ होगा कि यह नियम कब और कैसे लागू होगा। तब तक लोगों को इंतजार करना होगा कि उनकी जेब पर कितना बोझ बढ़ेगा।