NPA के प्रकार और उनके असर: हर लोन लेने वाले को पता होना चाहिए

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमों के तहत अगर आपने बैंक से लोन लिया है और उसकी किस्त 90 दिनों तक नहीं चुकाई, तो आपका लोन गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) बन सकता है। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFCs) के लिए यह अवधि 120 दिन है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि NPA बनने से आपकी जिंदगी पर क्या असर पड़ सकता है? आइए, इस लेख में हम आपको आसान और स्पष्ट भाषा में NPA से जुड़ी हर जरूरी जानकारी देते हैं, ताकि आप लोन लेते समय सही फैसले ले सकें।
NPA क्या है और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?
NPA यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट, वह लोन है जिसकी किस्त या ब्याज लंबे समय तक नहीं चुकाया जाता। जब लोन NPA बनता है, तो बैंक इसे 'फंसा हुआ कर्ज' मानता है। यह स्थिति न केवल बैंकों के लिए नुकसानदायक है, बल्कि लोन लेने वाले के लिए भी कई मुश्किलें खड़ी कर सकती है। बैंकों के लिए NPA का बढ़ना उनकी वित्तीय सेहत को कमजोर करता है, जिससे वे नए लोन देने में सतर्क हो जाते हैं। वहीं, उರ्पी डीप रेटिंग खराब होने का मतलब है कि भविष्य में आपको लोन मिलना मुश्किल हो सकता है।
सिबिल स्कोर पर पड़ता है गहरा असर
लोन की किस्त समय पर न चुकाने का सबसे बड़ा नुकसान है आपका सिबिल स्कोर खराब होना। सिबिल स्कोर वह नंबर है जो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को दर्शाता है। अगर आपका लोन NPA घोषित हो जाता है, तो आपका सिबिल स्कोर तेजी से गिर सकता है। इसका नतीजा यह होता है कि भविष्य में आपको नया लोन लेने में दिक्कत होती है। और अगर लोन मिलता भी है, तो ब्याज दरें बहुत ज्यादा हो सकती हैं, जिससे आपकी आर्थिक मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
NPA के प्रकार: सब कुछ डूबता नहीं!
NPA को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि यह सिर्फ एक वर्गीकरण है, न कि तुरंत नुकसान। NPA लोन को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है - सबस्टैंडर्ड, डाउटफुल और लॉस एसेट। अगर लोन एक साल तक सबस्टैंडर्ड रहता है, तो वह डाउटफुल श्रेणी में चला जाता है। और अगर वसूल होने की कोई उम्मीद न रहे, तो उसे लॉस एसेट माना जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बैंक हार मान लेता है। बैंक वसूली के लिए हर संभव कोशिश करता है, जैसे नोटिस भेजना, रिमाइंडर देना या कानूनी कार्रवाई करना।
आखिरी कदम: प्रॉपर्टी की नीलामी
बैंक लोन चुकाने के लिए आपको कई मौके देता है। अगर आप फिर भी किस्तें नहीं चुका पाते, तो बैंक पहले आपको रिमाइंडर और नोटिस भेजता है। इसके बावजूद भुगतान न होने पर बैंक आपकी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर सकता है और उसे नीलाम करके लोन की रकम वसूलने की कोशिश करता है। यह स्थिति न केवल आपके लिए आर्थिक नुकसानदायक है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी तकलीफदेह हो सकती है।
लोन लेने वालों के लिए सलाह
लोन लेना एक बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए, लोन लेने से पहले अपनी आय और खर्चों का सही आकलन करें। अगर आपको लगता है कि किस्त चुकाने में मुश्किल हो सकती है, तो तुरंत बैंक से संपर्क करें। कई बार बैंक आपके लोन को री-शेड्यूल या री-स्ट्रक्चर कर सकता है, जिससे आप NPA की स्थिति से बच सकते हैं।