5 साल में 25 लाख LIC एजेंट्स हुए बेरोजगार: कांग्रेस
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सहित देश के अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को तबाह करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि मोदी के पांच साल के शासन के दौरान
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सहित देश के अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को तबाह करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि मोदी के पांच साल के शासन के दौरान देश के करीब 25 लाख एलआईसी एजेंटों ने काम करना बंद कर दिया।
उन्होंने आशंका व्यक्त की कि आने वाले समय में एलआईसी अपने पॉलिसी होल्डरों का पैसा वापस कर पायेगा या नहीं, यह चिंता का विषय बन गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने, तब पूरे देश में लगभग 37 से 40 लाख एलआईसी एजेंट थे। लेकिन पिछले पांच वर्षों में करीब 25 लाख एलआईसी एजेंटों ने काम करना बंद कर दिया यानी 25 लाख बेरोजगार हो गये।’’ उन्होंने कहा कि मोदी की सरकार ने पीएसयू कंपनियों को तबाह कर निजी कंपनियों के हाथों में सौंपने का प्रयास किया है। इसका ज्वलंत उदाहरण एलआईसी है।
भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सिह ने बताया कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एलआईसी का गठन किया था और इसकी शुरूआत पांच करोड़ रूपये की पूंजी से हुई थी। उसके बाद करोड़ों पॉलिसी होल्डर बने और लाखों करोड़ों रूपये एलआईसी ने कमाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2014 में एलआईसी से रेलवे को 1.5 लाख करोड़ रूपये दिलाये।
इस पैसे पर रेलवे पांच साल तक कोई ब्याज एलआईसी को नहीं देगा। इस पर ब्याज 2020 से शुरू होगा। इससे वर्ष 2014 से वर्ष 2019 तक एलआईसी पॉलिसी होल्डरों को इस पैसे पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। दिग्विजय ने बताया कि इसके अलावा, मोदी सरकार ने आईडीबीआई बैंक के 24 प्रतिशत एनपीए के ‘बेल आउट’ के लिए एलआईसी से आईडीबीआई के 51 प्रतिशत शेयर खरीदे। 51 प्रतिशत शेयर होने पर एलआईसी को आईडीबीआई का प्रबंधन मिलना चाहिए था, लेकिन प्रबंधन आईडीबीआई के पास ही रहा। उन्होंने कहा कि एलआईसी पांच साल में आईडीबीआई में अपना शेयर 51 प्रतिशत से कम कर 15 प्रतिशत ले आएगा।
उन्होंने आशंका व्यक्त की कि आने वाले समय में एलआईसी अपने पॉलिसी होल्डरों का पैसा वापस कर पायेगा या नहीं, यह चिंता का विषय बन गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने, तब पूरे देश में लगभग 37 से 40 लाख एलआईसी एजेंट थे। लेकिन पिछले पांच वर्षों में करीब 25 लाख एलआईसी एजेंटों ने काम करना बंद कर दिया यानी 25 लाख बेरोजगार हो गये।’’ उन्होंने कहा कि मोदी की सरकार ने पीएसयू कंपनियों को तबाह कर निजी कंपनियों के हाथों में सौंपने का प्रयास किया है। इसका ज्वलंत उदाहरण एलआईसी है।
भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सिह ने बताया कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एलआईसी का गठन किया था और इसकी शुरूआत पांच करोड़ रूपये की पूंजी से हुई थी। उसके बाद करोड़ों पॉलिसी होल्डर बने और लाखों करोड़ों रूपये एलआईसी ने कमाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2014 में एलआईसी से रेलवे को 1.5 लाख करोड़ रूपये दिलाये।
इस पैसे पर रेलवे पांच साल तक कोई ब्याज एलआईसी को नहीं देगा। इस पर ब्याज 2020 से शुरू होगा। इससे वर्ष 2014 से वर्ष 2019 तक एलआईसी पॉलिसी होल्डरों को इस पैसे पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। दिग्विजय ने बताया कि इसके अलावा, मोदी सरकार ने आईडीबीआई बैंक के 24 प्रतिशत एनपीए के ‘बेल आउट’ के लिए एलआईसी से आईडीबीआई के 51 प्रतिशत शेयर खरीदे। 51 प्रतिशत शेयर होने पर एलआईसी को आईडीबीआई का प्रबंधन मिलना चाहिए था, लेकिन प्रबंधन आईडीबीआई के पास ही रहा। उन्होंने कहा कि एलआईसी पांच साल में आईडीबीआई में अपना शेयर 51 प्रतिशत से कम कर 15 प्रतिशत ले आएगा।