ऑटो रिक्शा वाले से लेकर मैथमेटिक्स गुरु बनने तक का सफर, कड़ी मेहनत से असम्भव को किया सम्भव

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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ऑटो रिक्शा वाले से लेकर मैथमेटिक्स गुरु बनने तक का सफर, कड़ी मेहनत से असम्भव को किया सम्भव

ऑटो रिक्शा वाले से लेकर मैथमेटिक्स गुरु बनने तक का सफर, कड़ी मेहनत से असम्भव को किया सम्भव


शैक्षणिक कार्यशैली से सफलता पाये लोगो  के बारे में सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि वह ऐसे परिवार से आते है जहां घर का कोई सदस्य इस  कार्य में हो या उसका परिवार आर्थिक रूप से सक्षम हो। पर कई बार इस अवधारणा को हमारे देश के काबिल युवाओ ने असत्य साबित कर दिखाया है। ऐसे कई युवा हैं जो ऐसी फैमिली से आते है जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं और घर मे भी कोई सदस्य शैक्षणिक कार्यशैली में नहीं होते है। इसके बावजूद भी वह सफलता प्राप्त करने के लिए जी जान से कोशिश करते हैं, कई बार निराशा हाथ लगती है फिर भी वह अपने मंजिल को हासिल कर हीं लेते हैं।

आज आपको एक ऐसे शख्स के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होगा जिसने   आँटो रिक्शा वाले से लेकर MATHEMATICS GURU बनने तक का सफर तय किया, अपनी कड़ी मेहनत से असम्भव को सम्भव किया। 540 आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना चुके है।   

आरके श्रीवास्तव बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के रहने वाले है। उनकी शिक्षा सरकारी स्कूलों से हुई। जब आरके श्रीवास्तव  5 वर्ष के थे तब उनके पिता जी पारस नाथ लाल दुनिया छोड़ चले गये। पिता के गुजरने  के बाद परिवार आर्थिक संकट में आ गया। परिवार का खर्च चलाने के लिये आरके श्रीवास्तव के बड़े भाई शिव कुमार श्रीवास्तव ( जो अब इस दुनिया में नही है) ने कुछ पैसे जुटाकर  एक  आँटो रिक्शा खरीदा। आँटो रिक्शा से होने वाले इनकम से परिवार का भरण पोषण होने लगा। 
जब आरके श्रीवास्तव बड़े हुए तो फिर उन पर दुखों का पहाड़ टूट गया। पिता की फर्ज निभाने वाले एकलौते बड़े भाई शिवकुमार श्रीवास्तव भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। अब इसी उम्र में आरके श्रीवास्तव पर अपने तीन भतीजियों की शादी और भतीजे को पढ़ाने लिखाने सहित सारे परिवार की जिम्मेदारी आ गयी। आरके श्रीवास्तव कहते है मेरे पापा और भैया आज मेरे साथ नही है लेकिन उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहता है।

मां को देते हैं अपनी उपलब्धियों का श्रेय RK Srivastava

आरके श्रीवास्तव अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपनी मां के द्वारा बढ़ाये गए मनोबल , भाभी के आशीर्वाद और उनके कड़े संघर्ष कभी न हार न मानने की सीख को देते हैं। परिवार की हालत ऐसी नहीं थी कि भरपेट भोजन मिल सके। कुछ वर्षों के बाद बड़े भाई के द्वारा रिस्तेदारों से पैसे लेकर खरीदे गए ऑटो रिक्शा से जो आमदनी होती जो पैसा शाम को घर आता था जिससे घर का खर्च चलता। आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि उनके जो भी उपलब्धिया हैं वे सब माँ के आशीर्वाद के कारण ही है। माँ के संघर्षों का व्याख्यान शब्दो मे करना नामुमकिन है। आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स के सपनो को पंख देने वाले का नाम है आरके श्रीवास्तव।

आरके श्रीवास्तव अब लाखो युवाओं के रोल मॉडल बन चुके हैं। बिहार के इस शिक्षक ने अपने कड़ी मेहनत, पक्का इरादा और उच्ची सोच के दम पर ही शीर्ष स्थान को प्राप्त कर लिया है। करीब एक दशकों से भी अधिक समय से आरके श्रीवास्तव देश के शिखर शिक्षक बने हुए हैं। देश के टॉप 10 शिक्षको में भी इन बिहारी शिक्षकों का नाम आ चुका है। गणित के शिक्षक हैं, परन्तु इनके शैक्षणिक कार्यशैली एक दशकों से चर्चा का विषय बना हुआ है। बिहार सहित आज पूरे देश की दुआएं आरके श्रीवास्तव को मिलता है। विदेशो में भी इन बिहारी शिक्षक के पढ़ाने के तरीको को भरपूर पसंद किए जाते हैं। उन सभी देशों में भी इनके शैक्षणिक कार्यशैली को पसंद किया जाता है। जहां पर भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं। 

सिर्फ 1 रुपया लेते हैं गुरु दक्षिणा 

मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव का व्यक्तित्व सरल है। पिता के गुजरने के बाद अपने पढ़ाई के दौरान गरीबी के कारण उच्च शिक्षा में होने वाले परेशानियों को नजदीक से महसूस किया है। ये बिहारी शिक्षक बताते हैं कि पैसों के आभाव के कारण हमें बड़े बड़े शैक्षणिक संस्थानो में पढ़ने का सौभाग्य नही मिला। लेकिन हम वैसे जरूरतमंद स्टूडेंट्स के सपने को पंख दे रहें जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। जो आज के समय के कोचिंग की लाखो फी देने में सक्षम नहीं हैं परन्तु उनका सपना बड़ा है। आपको बताते चलें की आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर गणित का गुर स्टूडेंट्स को सिखाते हैं।

ये शिक्षक सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी,बीसीईसीई,एनडीए सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानो मे दाखिला दिलाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। आरके श्रीवास्तव के कबाड़ की जुगाड़ से प्रैटिकल कर गणित पढाने का तरीका और नाइट क्लासेज अभियान( लगातार 12 घंटे पूरी रात गणित पढाना) पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। निश्चित रूप से आरके श्रीवास्तव को देश का वर्तमान में सबसे बड़ा शिक्षक माना सकता है। जो हिन्दूस्तान को विश्व गुरू बनाने में अपना योगदान नि:स्वार्थ दे रहे।

वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में भी दर्ज है नाम

आप आरके श्रीवास्तव के पढ़ाने के तरीके और उनके बातो को कहीं भी सुन लें। तब समझ आ जाएगा कि वे अपने स्टूडेंट्स के सफ़लता को लेकर कितने गंभीर रहते हैं। वे हमेशा जीतने वाले छोड़ते नहीं और छोड़ने वाले जीतते नहीं जैसी बातें अपने स्टूडेंट्स को बताते हैं।