उर्दू मुसलमानों की जागीर नहीं, सभी हिंदुस्तानियों की भाषा: मार्केंडेय काटजू
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के जज रहे मार्केंडेय काटजू ने रविवार को उर्दू भाषा को लेकर कहा कि उर्दू मुसलमानों की जागीर नहीं है। उ न्होने कहा, उर्दू सभी हिंदुस्तानियों की भाषा है। कुरान से भी कहीं ज्यादा रामायण का उर्दू
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के जज रहे मार्केंडेय काटजू ने रविवार को उर्दू भाषा को लेकर कहा कि उर्दू मुसलमानों की जागीर नहीं है। उ
न्होने कहा, उर्दू सभी हिंदुस्तानियों की भाषा है। कुरान से भी कहीं ज्यादा रामायण का उर्दू में तर्जुमा हुआ है।
उन्होने ट्वीट में लिखा, ‘मुझे एक बार कार्यक्रम के सिलसिले में लखनऊ बुलाया गया। वहां एक युवा मुस्लिम महिला ने कहा कि वह अपने बच्चों को उर्दू इसलिए सिखा रही है, ताकि वे कुरान अच्छे से पढ़ सके। इस पर मैंने उनसे कहा – मोहतर्रमा कुरान अरबी में है। उर्दू में जितनी कुरान लिखी गई हैं, उससे ज्यादा रामायण उर्दू में है।’
अपनी इस टिप्पणी को समझाते हुए उन्होंने दूसरी ट्वीट में कहा – मैं इस बात का उल्लेख इसलिए कर रहा हूं क्योंकि अधिकांश मुस्लिम समझते हैं कि उर्दू उनकी जागीर है। सच्चाई तो यह है कि उर्दू भाषा सभी समुदायों की है। भले ही वह हिंदू हो, सिख हो या फिर मुस्लिम हो।
अपने उर्दू प्रेम को जाहिर करते हुए मार्केंडेय काटजू ने आगे कहा, ‘मैं शुरुआत से ही उर्दू जबान का प्रेमी रहा हूं। मैं जब इलाहाबाद में था तो एक उर्दू सोसाइटी ज्वाइन की थी, जिसमें मैं अकेला हिंदू था।’
वह यह भी लिखते हैं, मैंने राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा है, लेकिन मुझे सिर्फ अपना ही वोट मिला था। यही नहीं, जिस शख्स की ताजपोशी राष्ट्रपति पद पर हुई थी… मुसलमान होते हुए भी उन्हें उर्दू की बहुत कम जानकारी थी।
न्होने कहा, उर्दू सभी हिंदुस्तानियों की भाषा है। कुरान से भी कहीं ज्यादा रामायण का उर्दू में तर्जुमा हुआ है।
उन्होने ट्वीट में लिखा, ‘मुझे एक बार कार्यक्रम के सिलसिले में लखनऊ बुलाया गया। वहां एक युवा मुस्लिम महिला ने कहा कि वह अपने बच्चों को उर्दू इसलिए सिखा रही है, ताकि वे कुरान अच्छे से पढ़ सके। इस पर मैंने उनसे कहा – मोहतर्रमा कुरान अरबी में है। उर्दू में जितनी कुरान लिखी गई हैं, उससे ज्यादा रामायण उर्दू में है।’
अपनी इस टिप्पणी को समझाते हुए उन्होंने दूसरी ट्वीट में कहा – मैं इस बात का उल्लेख इसलिए कर रहा हूं क्योंकि अधिकांश मुस्लिम समझते हैं कि उर्दू उनकी जागीर है। सच्चाई तो यह है कि उर्दू भाषा सभी समुदायों की है। भले ही वह हिंदू हो, सिख हो या फिर मुस्लिम हो।
अपने उर्दू प्रेम को जाहिर करते हुए मार्केंडेय काटजू ने आगे कहा, ‘मैं शुरुआत से ही उर्दू जबान का प्रेमी रहा हूं। मैं जब इलाहाबाद में था तो एक उर्दू सोसाइटी ज्वाइन की थी, जिसमें मैं अकेला हिंदू था।’
वह यह भी लिखते हैं, मैंने राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा है, लेकिन मुझे सिर्फ अपना ही वोट मिला था। यही नहीं, जिस शख्स की ताजपोशी राष्ट्रपति पद पर हुई थी… मुसलमान होते हुए भी उन्हें उर्दू की बहुत कम जानकारी थी।
I was once invited for a function in Lucknow where a young Muslim woman said that she will teach her children Urdu so that they can read the Quran. I said " Mohtarma, Quran Arabi mein hai. Urdu mein jitni Quran likhi hain usse zyaada Ramayan Urdu mein hain”— Markandey Katju (@mkatju) 14 April 2019