अनुच्छेद 370 के हटने से सचिन पायलट के परिवार को भी होगा फायदा...
एसपी मित्तल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों का बदलने पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन 370 के हटने से पायलट के परिवार को भी फायदा होगा। अब पायलट की पत्
एसपी मित्तल
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों का बदलने पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन 370 के हटने से पायलट के परिवार को भी फायदा होगा। अब पायलट की पत्नी सारा पायलट अपने पिता जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला की सम्पत्ति में से हिस्सा ले सकती हैं।
सचिन पायलट ने फारुख की पुत्री और उमर अब्दुल्ला की बहन सारा से विवाह किया था, लेकिन सचिन पायलट कश्मीर से बाहर के होने की वजह से सारा के अधिकार कश्मीर में समाप्त हो गए। असल में अनुच्छेद 370 और 35ए में यही सबसे बड़ा भेदभाव है। कोई कश्मीरी लड़की यदि दूसरे प्रांत के लड़के से विवाह करती है उसे अपने पिता की सम्पत्ति में अधिकार नहीं होगा और न ही उसके बच्चों को कश्मीर की नागरिकता मिलेगी। यानि यदि 370 के प्रावधान रहते तो सचिन पायलट के बच्चों को भी कश्मीर की नागरिकता नहीं मिली। जबकि फारुख अब्दुल्ला अपनी बेटी सारा और दामाद सचिन से बेहद प्यार करते हैं।
फारुख को अपने नाते और नाती से स्नेह हैं। लेकिन अब जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है, तब इसका फायदा सचिन पायलट के परिवार को भी मिलेगा। हालांकि सचिन पायलट स्वयं आर्थिक दृष्टि से बहुत मजबूत हैं, लेकिन अब फारुख अब्दुल्ला भी अपनी बेटी को कश्मीर की जायजाद देने के लिए स्वतंत्र है। अब पायलट के बच्चों को भी कश्मीर की नागरिकता मिल सकेगी। इसे सियासत ही कहा जाएगा कि यदि कश्मीर का कोई लड़का दूसरे प्रांत की लड़की से निकाह करता है, तो उसके बच्चों को कश्मीर में पूरे अधिकार मिलेंगे। जो लोग 370 का समर्थन कर रहे हैं वे बताएं कि लैगिग भेदभाव कितना जायज है? क्या ऐसा भेदभाव समाप्त नहीं होना चाहिए?
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों का बदलने पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट की फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन 370 के हटने से पायलट के परिवार को भी फायदा होगा। अब पायलट की पत्नी सारा पायलट अपने पिता जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला की सम्पत्ति में से हिस्सा ले सकती हैं।
सचिन पायलट ने फारुख की पुत्री और उमर अब्दुल्ला की बहन सारा से विवाह किया था, लेकिन सचिन पायलट कश्मीर से बाहर के होने की वजह से सारा के अधिकार कश्मीर में समाप्त हो गए। असल में अनुच्छेद 370 और 35ए में यही सबसे बड़ा भेदभाव है। कोई कश्मीरी लड़की यदि दूसरे प्रांत के लड़के से विवाह करती है उसे अपने पिता की सम्पत्ति में अधिकार नहीं होगा और न ही उसके बच्चों को कश्मीर की नागरिकता मिलेगी। यानि यदि 370 के प्रावधान रहते तो सचिन पायलट के बच्चों को भी कश्मीर की नागरिकता नहीं मिली। जबकि फारुख अब्दुल्ला अपनी बेटी सारा और दामाद सचिन से बेहद प्यार करते हैं।
फारुख को अपने नाते और नाती से स्नेह हैं। लेकिन अब जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है, तब इसका फायदा सचिन पायलट के परिवार को भी मिलेगा। हालांकि सचिन पायलट स्वयं आर्थिक दृष्टि से बहुत मजबूत हैं, लेकिन अब फारुख अब्दुल्ला भी अपनी बेटी को कश्मीर की जायजाद देने के लिए स्वतंत्र है। अब पायलट के बच्चों को भी कश्मीर की नागरिकता मिल सकेगी। इसे सियासत ही कहा जाएगा कि यदि कश्मीर का कोई लड़का दूसरे प्रांत की लड़की से निकाह करता है, तो उसके बच्चों को कश्मीर में पूरे अधिकार मिलेंगे। जो लोग 370 का समर्थन कर रहे हैं वे बताएं कि लैगिग भेदभाव कितना जायज है? क्या ऐसा भेदभाव समाप्त नहीं होना चाहिए?