'लॉस्ट' में भूमिका निभाने के दौरान 'लेस इज मोर' के सिद्धांत का पालन किया : यामी गौतम

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'लॉस्ट' में भूमिका निभाने के दौरान 'लेस इज मोर' के सिद्धांत का पालन किया : यामी गौतम

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पणजी | अभिनेत्री यामी गौतम ने कहा है कि हिंदी फिल्म 'लॉस्ट' में मुख्य भूमिका निभाने के दौरान उन्होंने 'लेस इज मोर' के सिद्धांत का पालन किया, जो उनके अनुसार बहुत चुनौतीपूर्ण था। यह बयान अभिनेत्री ने बुधवार को गोवा में चल रहे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में 'टेबल टॉक' कार्यक्रम में दिया। फिल्म में नायिका की भूमिका निभाने का अपना अनुभव बताते हुए यामी ने कहा कि जब ऐसा किरदार आपके सामने आता है तो उसे निभाना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

उन्होंने कहा, "कभी-कभी हमें लगता है कि 'लेस इज मोर' के सिद्धांत का मैंने पालन किया। मैंने वास्तव में फिल्म में चरित्र को चित्रित करने की कोशिश नहीं की। मैं चरित्र के अंदर ही थी, जैसा वह है।"

सच्ची घटनाओं से प्रेरित, 'लॉस्ट' एक युवा महिला क्राइम रिपोर्टर की कहानी है जो एक युवा थिएटर कलाकार के अचानक गायब होने के पीछे की सच्चाई की अथक खोज में है। इस फिल्म को आईएफएफआई में दिखाया गया।

उन्होंने कहा कि, यह स्टूडियो आधारित फिल्म नहीं है, यह वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित कहानी है। "आपको कहानी में कूदना है, चरित्र के हर बिट को महसूस करना है, जो हमारे आत्म-अनुभव और हमारे आसपास की दुनिया के साथ प्रतिध्वनित होता है।"

निर्देशक अनिरुद्ध रॉय चौधरी ने कहा कि 'लॉस्ट' फिल्म व्यावहारिक रूप से मीडिया की अखंडता के मुद्दे पर प्रकाश डालती है।

यामी के चरित्र के बारे में अधिक जानकारी देते हुए, अनिरुद्ध रॉय ने कहा कि यह एक बहुत ही गहन आंतरिक संघर्ष है जिससे चरित्र गुजरता है।

उन्होंने कहा, "कुछ भूमिकाओं में, बहुत सारे संवाद और तत्व हैं जिन्हें आपको करने की आवश्यकता है, लेकिन यह सिर्फ एक चरित्र नहीं है, यह ²ढ़ विश्वास और प्रतिबद्धता है।"