महेश भट्ट का दर्द भरा खुलासा: 'मैं एक मुस्लिम महिला का नाजायज बेटा हूं'

बॉलीवुड के जाने-माने फिल्म निर्माता और निर्देशक महेश भट्ट ने अपने जीवन के बारे में एक ऐसा खुलासा किया है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया। महेश भट्ट ने अपने जीवन के अनकहे पहलुओं को सामने रखते हुए बताया कि उनके पास अपने पिता की कोई भी याद नहीं है। उन्होंने कहा, "मेरे पास में पिता की कोई भी याद नहीं है। इसीलिए मैं नहीं जानता कि पिता की भूमिका क्या होनी चाहिए।" यह बात सुनकर हर किसी का दिल पसीज गया, क्योंकि एक बच्चे के लिए पिता का प्यार और मार्गदर्शन कितना महत्वपूर्ण होता है।
महेश भट्ट ने आगे बताया कि वह एक सिंगल मुस्लिम महिला शिरीन मोहम्मद अली के नाजायज बेटे हैं। उन्होंने अपने जन्म के बारे में खुलकर बात करते हुए कहा, "मैं एक सिंगल मुस्लिम महिला शिरीन मोहम्मद अली का नाजायज बेटा हूं।" यह खुलासा करना किसी भी व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता, लेकिन महेश भट्ट ने बिना किसी झिझक के अपने जीवन की इस कड़वी सच्चाई को स्वीकार किया।
बचपन में भगवान गणेश से था खास रिश्ता
महेश भट्ट ने अपने बचपन के बारे में एक दिलचस्प बात बताई। उन्होंने कहा, "मैं हमेशा से चाहता था कि मेरा नाम गणेश हो क्योंकि बचपन में मैं भगवान गणेश की तरह ही तकिए में सिर छुपा कर सो जाता था।" यह बात दर्शाती है कि बचपन से ही महेश भट्ट का भगवान गणेश से एक विशेष लगाव था। शायद यह उनके अंदर की आध्यात्मिक भावना का परिचायक है, जो उन्हें बचपन से ही प्रेरित करती रही।
महेश भट्ट के इस खुलासे से पता चलता है कि वह अपने जीवन में धार्मिक सद्भाव और सांप्रदायिक एकता के पक्षधर रहे हैं। एक मुस्लिम महिला के बेटे होने के बावजूद, उनका हिंदू धर्म और भगवान गणेश के प्रति प्रेम दर्शाता है कि धर्म से ऊपर उठकर भी मनुष्य आध्यात्मिक हो सकता है।
पिता की अनुपस्थिति का असर
महेश भट्ट के जीवन में पिता की अनुपस्थिति ने उन्हें गहरे तक प्रभावित किया। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें नहीं पता कि एक पिता की भूमिका क्या होती है, क्योंकि उन्होंने कभी अपने पिता को देखा ही नहीं। यह बात उनके जीवन के संघर्षों और चुनौतियों को दर्शाती है, जिनका सामना उन्होंने अपने बचपन और युवावस्था में किया होगा।
पिता की अनुपस्थिति में बड़े होने वाले बच्चों को अक्सर कई तरह की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। महेश भट्ट के मामले में, उन्होंने इन चुनौतियों को अपनी ताकत में बदल दिया और बॉलीवुड में एक सफल फिल्मकार बने। उनकी फिल्मों में अक्सर जटिल मानवीय रिश्तों और भावनाओं का चित्रण देखने को मिलता है, जो शायद उनके अपने जीवन के अनुभवों से प्रेरित है।
महेश भट्ट का फिल्मी सफर
महेश भट्ट ने अपने जीवन की कठिनाइयों के बावजूद बॉलीवुड में एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1974 में फिल्म 'मंजिल' से की थी। इसके बाद उन्होंने 'अर्थ', 'सारांश', 'नाम', 'जख्म', 'आशिकी' जैसी कई यादगार फिल्में बनाईं, जिन्होंने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई।
महेश भट्ट की फिल्मों में अक्सर समाज के कटु सत्य और मानवीय संबंधों की जटिलताओं को दिखाया गया है। शायद उनके अपने जीवन के अनुभवों ने उन्हें इन विषयों पर गहराई से सोचने और उन्हें फिल्मों के माध्यम से व्यक्त करने की प्रेरणा दी। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि समाज के लिए एक आईना भी हैं, जो हमें अपने आसपास की वास्तविकताओं से रूबरू कराती हैं।
महेश भट्ट का परिवार और निजी जीवन
महेश भट्ट ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने परिवार को प्राथमिकता दी। उनकी पहली शादी करण भट्ट की मां लोरेन ब्राइट से हुई थी, लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चल पाया। इसके बाद उन्होंने सोनी राजदान से शादी की, जिनसे उनकी दो बेटियां आलिया भट्ट और शाहीन भट्ट हैं।
महेश भट्ट ने अपने बच्चों को हमेशा स्वतंत्र रूप से सोचने और अपने सपनों का पीछा करने के लिए प्रोत्साहित किया। शायद अपने बचपन में पिता की अनुपस्थिति के कारण, उन्होंने हमेशा अपने बच्चों के साथ एक मजबूत और सहायक रिश्ता बनाए रखने की कोशिश की। आज, उनकी बेटी आलिया भट्ट बॉलीवुड की सबसे सफल अभिनेत्रियों में से एक हैं, जबकि शाहीन भट्ट एक लेखिका और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करती हैं।