इंडिया टीवी के शो 'आप की अदालत' में अभिनेत्री से संन्यासिन बनी ममता कुलकर्णी ने अपने जीवन के कई अनछुए पहलुओं पर खुलकर बात की। उन्होंने न सिर्फ़ बॉलीवुड के दिनों की यादें ताज़ा कीं, बल्कि आध्यात्मिकता और सांसारिक जीवन के बीच के संघर्ष को भी बेबाकी से साझा किया। रजत शर्मा के सवालों का सामना करते हुए ममता ने जो बातें बताईं, वे उनकी ज़िंदगी के दो अलग-अलग चेहरों को उजागर करती हैं।
वो दौर जब सूटकेस में मंदिर लेकर चलती थीं ममता
बॉलीवुड के शुरुआती दिनों में ममता कुलकर्णी की आस्था और रूटीन हैरान करने वाला था। उन्होंने बताया कि वह हमेशा तीन सूटकेस लेकर चलती थीं—एक कपड़ों के लिए, एक किताबों के लिए, और तीसरा पूरी तरह से मंदिर के सामान के लिए। चाहे शूटिंग के लिए किसी भी शहर जाना हो, ममता अपने साथ मूर्तियाँ, धूप-दीप, और पूजा का सामान ज़रूर ले जाती थीं। वह कहती हैं, "मुझे जो भी होटल का कमरा मिलता, उसमें पहले देवी-देवताओं को स्थापित करती। पूजा के बिना शूटिंग फ्लोर पर जाने का विचार भी नहीं आता था।" नवरात्रि में सिर्फ़ जल पर रहने का संकल्प
ममता ने बॉलीवुड के दौरान नवरात्रि के व्रत को लेकर एक दिलचस्प किस्सा साझा किया। वह नौ दिन तक सिर्फ़ पानी पर रहती थीं और तीन यज्ञ करती थीं। उन्होंने बताया, "मैंने चंदन की 36 किलोग्राम लकड़ी से यज्ञ किया। इस दौरान रोज़ तीन-चार घंटे ध्यान में बैठना मेरी दिनचर्या का हिस्सा था।" यही नहीं, उन्होंने शूटिंग के बीच भी इस रूटीन को नहीं तोड़ा। ममता के अनुसार, "लोग हैरान होते थे कि मैं भूखी कैसे काम कर लेती हूँ, लेकिन आस्था की ताकत ही मेरी ऊर्जा थी।" डिज़ाइनर की चिंता और ताज़ होटल का वो शाम का पैग
इसी बीच एक दिलचस्प मोड़ आया। ममता की गहन आध्यात्मिक प्रक्रिया से चिंतित होकर उनके डिज़ाइनर ने कहा, "तुम बहुत ज़्यादा सीरियस हो गई हो। थोड़ा रिलैक्स करो।" इसके बाद वे मशहूर ताज़ होटल पहुँचे। ममता ने स्वीकार किया कि उस शाम उन्होंने स्कॉच के दो पैग लिए। वह कहती हैं, "मैंने सोचा, चलो थोड़ा लाइट हो जाते हैं। पर यह कोई नियमित आदत नहीं थी।" यह कॉन्ट्रास्ट उनके आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन के बीच के संतुलन को दिखाता है। आस्था और बॉलीवुड: कैसे बनाए रखा संतुलन?
ममता के लिए यह संतुलन बनाना आसान नहीं था। वह बताती हैं कि पार्टियों और ग्लैमर के बीच भी वह अपने नियमों से कभी नहीं डिगीं। "मैं शराब और नॉन-वेज से दूर रही। होटल के कमरे में मंदिर बनाने के बाद मुझे शांति मिलती थी," उन्होंने कहा। उनकी इस आदत ने उन्हें सेट पर 'भक्ति वाली एक्ट्रेस' का टैग दिलवाया, लेकिन ममता को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा। संन्यास की ओर बढ़ते कदम
समय के साथ ममता का रुझान आध्यात्मिकता की ओर बढ़ता गया। फिल्मों से दूरी बनाने के बाद उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया। आज वह गेरुआ वस्त्रों में रहकर साधना करती हैं और समाज सेवा में जुटी हैं। शो के दौरान उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह कोई बदलाव नहीं, बल्कि अपने असली स्वरूप को पहचानना था।" ममता कुलकर्णी की कहानी सिर्फ़ एक सेलिब्रिटी के बदलाव की नहीं, बल्कि आत्मा की खोज की यात्रा है। बॉलीवुड की चकाचौंध और आध्यात्मिकता के बीच उन्होंने जो संतुलन बनाया, वह हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। चाहे मंदिर का सूटकेस हो या ताज़ होटल का पैग—ममता ने साबित किया कि इंसान के भीतर कितनी विविधताएँ समाई होती हैं। यह सफर न सिर्फ़ ममता के लिए, बल्कि हर उस शख्स के लिए सबक है जो अपनी पहचान और उद्देश्य को लेकर संघर्ष कर रहा है। आस्था और सांसारिकता के बीच का यह नृत्य हमें याद दिलाता है कि ज़िंदगी में कोई भी चुनाव गलत नहीं होता—बस वह आपको आपसे मिलवाने का ज़रिया होता है।