सलमान-अजय से भिड़ने वाला विलेन बना मौलाना: नशे की गिरफ्त से अल्लाह की राह तक

90 के दशक में बॉलीवुड में नेगेटिव रोल्स के लिए मशहूर रहे आरिफ खान आज एक अलग ही रास्ते पर चल रहे हैं। अजय देवगन की डेब्यू फिल्म 'फूल और कांटे' में खलनायक रॉकी के रूप में दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाले आरिफ खान ने अब फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया है और मौलाना बन गए हैं। उनका यह बदलाव इतना अधिक है कि आज उन्हें पहचानना मुश्किल हो गया है। लंबी दाढ़ी और पारंपरिक इस्लामिक पोशाक में वह बिल्कुल अलग नजर आते हैं।
1 मई 1968 को मुंबई में जन्मे आरिफ खान के पिता एक दर्जी थे। शुरुआत में आरिफ ने भी अपने पिता से दर्जी और डिजाइन का काम सीखा। मॉडलिंग में उनकी रुचि ने उन्हें मनोरंजन उद्योग की ओर आकर्षित किया, जहां फिल्म निर्माता दिनेश पटेल ने उन्हें 'फूल और कांटे' में रोल ऑफर किया।
फिल्मी करियर: विलेन से हॉलीवुड तक
आरिफ खान ने 1991 में 'फूल और कांटे' से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने रॉकी नामक खलनायक की भूमिका निभाई। फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही और आरिफ को अपने प्रदर्शन के लिए पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने 90 के दशक में कई फिल्मों में काम किया, जिनमें अक्सर वे नकारात्मक किरदार या नायक के प्रतिद्वंद्वी के रूप में नजर आए।
आरिफ खान ने सलमान खान के साथ 'वीरगति', सुनील शेट्टी के साथ 'मोहरा' और अजय देवगन के साथ 'दिलजले' जैसी फिल्मों में काम किया। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में 'तेजस्विनी' (1994) और 'हलचल' (1995) भी शामिल हैं। 2007 में, आरिफ खान ने हॉलीवुड फिल्म 'ए माइटी हार्ट' में एंजेलिना जोली के साथ एक टैक्सी ड्राइवर की भूमिका निभाई, जो उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का एक महत्वपूर्ण कदम था।
बॉलीवुड छोड़ने का फैसला: अंदरूनी संघर्ष
अपने करियर में कई बड़े सितारों के साथ काम करने के बावजूद, आरिफ खान ने फिल्म उद्योग को छोड़ने का फैसला किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे के कारणों को साझा किया। उन्होंने बताया कि फिल्म उद्योग के भीतर वह अशांत और असंतुष्ट महसूस करते थे, अक्सर वह सोचते थे कि उन्हें बड़े रोल क्यों नहीं मिलते या प्रमुख बैनर उन्हें क्यों नहीं अप्रोच करते।
यह बेचैनी, अस्वास्थ्यकर आदतों और नशीली दवाओं के सेवन के विकास के साथ, उन्हें और अधिक निराशा में धकेल दी। बॉलीवुड में 7-8 साल बिताने के बाद, आरिफ ने सब कुछ पीछे छोड़ने और मार्गदर्शन और सांत्वना के लिए अल्लाह की ओर रुख करने का फैसला किया।
आध्यात्मिक यात्रा: तबलीगी जमात से जुड़ाव
आरिफ खान 1997 से ही तबलीगी जमात से जुड़े हुए थे, लेकिन 2007 में 'ए माइटी हार्ट' में अपनी आखिरी फिल्मी उपस्थिति के बाद, उन्होंने पूरी तरह से धार्मिक और व्यक्तिगत विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए फिल्म उद्योग छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने अपना समय पूरी तरह से तबलीगी जमात की धार्मिक गतिविधियों और प्रचार को समर्पित करने का चुनाव किया।
कोविड-19 महामारी के दौरान, आरिफ खान का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह एक नए लुक में दिखाई दिए - लंबी दाढ़ी और पारंपरिक कपड़ों में। वीडियो में, उन्होंने बताया कि उन्होंने धार्मिक शिक्षाओं का पालन करने के लिए फिल्मों को छोड़ दिया। पूर्व अभिनेता, जो अब एक मौलाना (धर्मगुरु) हैं, इस्लाम के बारे में सिखाते हैं और ग्लैमर की दुनिया से दूर एक सादा जीवन जीते हैं।
आज का जीवन: सादगी और धार्मिक शिक्षा
आज आरिफ खान एक सादा जीवन जीते हैं, लंबी दाढ़ी के साथ, जिससे उन्हें पहचानना मुश्किल हो गया है। हालांकि, वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, जहां वह अपने बायो में खुद को "पूर्व बॉलीवुड अभिनेता, प्रेरणादायक वक्ता और पानी कम चाय के संस्थापक" के रूप में वर्णित करते हैं। उनका अपना यूट्यूब चैनल भी है।
आरिफ खान अब इस्लाम के प्रचार और शिक्षा में सक्रिय हैं। वह अपने अनुभवों को साझा करते हैं और लोगों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका मानना है कि वास्तविक शांति और संतुष्टि भौतिक सुखों में नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जीवन में है।
बॉलीवुड से धर्म की ओर: एक अनोखी यात्रा
आरिफ खान की कहानी एक बॉलीवुड विलेन से लेकर एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक तक की यात्रा को दर्शाती है। यह उनकी आंतरिक शांति और एक सार्थक अस्तित्व की खोज को उजागर करती है। हाल के वर्षों में, धार्मिक कारणों से कई बॉलीवुड सितारों ने इंडस्ट्री को अलविदा कहा है, जैसे कि जायरा वसीम और सना खान। हालांकि, आरिफ खान की कहानी पर तुलनात्मक रूप से कम ध्यान दिया गया है।
आरिफ खान की यात्रा हमें याद दिलाती है कि जीवन में सच्ची खुशी और शांति पाने के लिए कभी-कभी हमें अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलना पड़ता है और अपने दिल की आवाज सुननी पड़ती है। उनका बदलाव हमें सिखाता है कि कभी-कभी सबसे बड़ी सफलता भौतिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आत्मिक संतुष्टि में होती है।
आज, जब हम आरिफ खान को देखते हैं, तो हम एक ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो अपने जीवन में शांति और उद्देश्य पा चुका है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि जीवन में कभी भी बदलाव के लिए देर नहीं होती, और हमेशा अपने सच्चे आत्म की खोज करने का समय होता है।