संगम तट पर पूनम पांडे का अनोखा अवतार: महाकाल टी-शर्ट में लगाई डुबकी, दिया चौंकाने वाला बयान

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संगम तट पर पूनम पांडे का अनोखा अवतार: महाकाल टी-शर्ट में लगाई डुबकी, दिया चौंकाने वाला बयान

Poonam Pandey at Sangam Ghat

Photo Credit: Instagram


बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री पूनम पांडे ने मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर प्रयागराज के महाकुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अपने बेबाक अंदाज और विवादास्पद छवि के लिए जानी जाने वाली अभिनेत्री ने इस बार एक अलग ही रूप में खुद को प्रस्तुत किया, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया।
त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाते समय पूनम ने विशेष रूप से 'महाकाल' लिखी टी-शर्ट धारण की थी। स्नान के पश्चात उन्होंने श्रद्धापूर्वक प्रार्थना की और अपनी भावनाओं को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा - "सब पाप धुल गए मेरे।" यह वाक्य उनकी आध्यात्मिक यात्रा का एक मार्मिक प्रतीक बन गया।
कुंभ में उनकी यात्रा केवल स्नान तक ही सीमित नहीं रही। संगम की पवित्र धारा में नौका विहार के दौरान उन्होंने पंछियों को दाना खिलाया, जो उनके प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम को दर्शाता है। इस दौरान उनके माथे पर तिलक और सिर पर काला दुपट्टा उनकी परंपरागत श्रद्धा को प्रकट कर रहा था।

Poonam Pandey at Sangam Ghat
मौनी अमावस्या की रात प्रयागराज में हुई दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ की घटना पर भी पूनम ने गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि भले ही शक्ति कम हो जाए, लेकिन श्रद्धा कभी कम नहीं होनी चाहिए। उनका यह कथन आस्था और विवेक के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
कुंभ में उनकी यह यात्रा पूर्व घोषित थी, जिसे उन्होंने पूरी श्रद्धा और विनम्रता के साथ संपन्न किया। मेले में उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच उनकी मौजूदगी ने यह साबित किया कि आध्यात्मिकता किसी एक वर्ग या छवि तक सीमित नहीं है। यह सभी के लिए एक समान है, चाहे वह कोई भी हो।
पूनम की इस यात्रा ने दर्शाया कि कैसे एक व्यक्ति अपनी सार्वजनिक छवि से परे, अपनी आस्था और विश्वास को महत्व दे सकता है। उनकी यह यात्रा न केवल एक व्यक्तिगत आध्यात्मिक अनुभव थी, बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी था कि धर्म और आस्था में कोई भेदभाव नहीं होता।
इस प्रकार, पूनम पांडे की कुंभ यात्रा ने दिखाया कि कैसे आधुनिकता और परंपरा, विश्वास और आधुनिक जीवनशैली एक साथ चल सकते हैं। उनकी यह यात्रा आस्था की एक ऐसी मिसाल बन गई, जो दर्शाती है कि श्रद्धा का मार्ग सभी के लिए खुला है, बिना किसी पूर्वाग्रह के।