Scam 2003 Vol 2 : क्या इस वीकेंड आपको ये क्राइम सीरीज देखनी चाहिए या नहीं, जानिये Review

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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Scam 2003 Vol 2 : क्या इस वीकेंड आपको ये क्राइम सीरीज देखनी चाहिए या नहीं, जानिये Review

Scam 2003 Vol 2


हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर अक्सर अपराध से जुड़ी कहानियों का प्रभाव देखने को मिलता है. कई दशकों से बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड हो या फिर क्राइम से जुड़ी फिल्में लगातार बनाती आ रही है. अब ओटीटी के जमाने में कई बड़े बैनर इस पर सीरीज बना रहे हैं.

आमतौर पर गुनहगारों की बखानती करने वाली कहानियां देखना लोगों को पसंद नहीं है, लेकिन तेलगी कहानी वाली स्कैम 2003 एक ऐसी सीरीज है, जिसे देखने के बाद न सिर्फ मैं अगले 5 एपिसोड को देखने के लिए उत्सुक थी, बल्कि इस दौरान मैंने हंसल मेहता की स्कैम 1992 भी देखी.

स्कैम 2003 के बारे में हम ये कह सकते हैं कि इस सीरीज में कही पर क्रिमिनल को ‘हीरो’ नहीं बनाया गया है. गलत रास्ते पर चलने वाले का अंजाम गलत होता है, ये कहते हुए भी ‘अब्दुल करीम तेलगी’ की कहानी हंसल मेहता ने बड़ी खूबूसरती से पेश की है और यहीं वो फिर एक बार डिस्टिंक्शन के साथ पास हुए हैं.

कहानी

‘स्कैम 2003’ में अब तक हमने अब्दुल करीम तेलगी के अच्छे दिन देखे थे. लेकिन आखिरी 3 एपिसोड में हम उसके अर्श से फर्श तक होने की कहानी देखने वाले हैं. किस तरह से राजनीति की और चल पड़ा तेलगी बड़े ख्वाब देखते हुए ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाता है कि वहां से निकलना उसके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है.

एक तरफ राजनीति और दूसरी तरफ परिवार से बढ़ती दूरियां. इन सब में तेलगी की नैया कैसे डूब जाती है, ये जानने के लिए आपको सोनी लिव पर स्कैम 2003 के आखिरी 5 एपिसोड देखने होंगे.

स्कैम सीरीज के पहले सीजन ‘स्कैम 1992’ में हंसल मेहता ने ‘बिग बुल’ हर्षद मेहता की कहानी सुनाई थी. हंसल मेहता और प्रतीक गांधी, दोनों ने मिलकर ओटीटी की ‘ब्लॉकबस्टर’ दी थी और जाहिर है कि ‘स्कैम 2003‘ की तुलना इस सीरीज के पहले सीजन से और गगन देव रियार की तुलना प्रतीक गांधी से होगी.

लेकिन हंसल मेहता का दिमाग तुषार हीरानंदानी का निर्देशन और गगन देव रियार का ‘तेलगी’ हमें ये साबित करता है कि ये दोनों कहानी बिलकुल अलग है. शुरुआत से लेकर आखिरी पल तक हम इस सीरीज से जुड़े रहते हैं. ये सीरीज हमारे लिए एक ‘रोलरकोस्टर’ राइड है, जिसे देखते हुए आप हर भावनाओं से गुजरेंगे और इसका श्रेय जाता है सीरीज के निर्देशक हंसल मेहता और तुषार हीरानंदानी को.

निर्देशन और राइटिंग

हंसल मेहता की ‘स्कैम 2003’ का निर्देशन किया है तुषार हीरानंदानी ने और इसके राइटर हैं करण व्यास, किरण यडनयोपवीत और केदार पाटणकर. साल 2019 में तुषार हीरानंदानी ने अनुराग कश्यप की ‘सांड की आंख’ का निर्देशन किया था. इस फिल्म के लिए उन्हें अवार्ड भी मिले थे. ‘सांड की आंख’ में दो महिलाओं की कहानी बयां की गई थी, जो प्रेरणादायी थी.

लेकिन ‘स्कैम 2003’ ने तुषार के सामने एक अपराधी की कहानी उसे बिना ‘हीरो’ बनाए दिखाने का चैलेंज था और साथ ही ‘स्कैम 1992’ के लेजेंड्री निर्देशक हंसल मेहता के दिखाए हुए विश्वास को निभाने की जिम्मेदारी भी थी. तुषार ने दोनों को न्याय दिया है. तुषार के इस काम में उनकी राइटिंग टीम ने उनका पूरा साथ दिया है.

‘तेलगी’ हर्षद मेहता की तरह पॉजिटिव नहीं था, उसके किरदार में ‘ग्रे’ शेड था और यही वजह है इस सीरीज में उनके कई रंग हमें बखूबी दिखाए गए हैं. तेलगी को शह देने वाले और उसे लेकर डूबने वाले पॉलिटिशियन की कहानी यहां बेबाक तरीके से दिखाई गई है.

लेकिन आखिरी 3 हफ्ते में साउथ पॉलिटिक्स पर निशाना साधा गया है. सुपरस्टार राजकुमार की वीरप्पन की किडनेपिंग का किस्सा और उनकी रिहाई के लिए तेलगी ने गवर्नमेंट को की आर्थिक सहायता का दिलचस्प किस्सा, साउथ ऑडियंस को भी इस सीरीज की तरफ आकर्षित कर सकता है.

सीरीज के डायलॉग कमाल के हैं. सीरीज का जो स्क्रीनप्ले शुरुआत में हमें अब्दुल से इम्प्रेस करता है, वो आखिरी 5 एपिसोड में उसी तेलगी से नफरत करने के लिए में मजबूर करता है. इस शानदार स्क्रीनप्ले का साथ दिया है सीरीज के एक्टर्स ने.

एक्टिंग

‘स्कैम 2003’ गगन देव रियार का बतौर लीड पहला प्रोजेक्ट है. गगन एक थिएटर एक्टर हैं और उन्हें दिए गए मौके को उन्होंने खूब फायदा उठाया है. गगन देव रियार बतौर अब्दुल करीम तेलगी छा गए हैं. उनकी एक्टिंग डायलॉग डिलीवरी कमाल की है.

लेकिन आईपीएस अफसर के किरदार में मुकेश तिवारी निराश करते हैं. आमतौर पर हमने उन्हें निगेटिव किरदार में देखा है, उन्होंने कभी कभी कॉमेडी भी की है. इस सीरीज में उन्हें एक पॉजिटिव किरदार दिया गया था.

लेकिन बॉडी लैंग्वेज से लेकर डायलॉग डिलीवरी तक मुकेश कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाते. दिनेश यादव यानी नारूहुआ हमें सरप्राइज करते हैं. वो इस सीरीज में SIT अफसर बने हैं. जिस तरह से उन्होंने ये किरदार निभाए हैं, उनकी डायलॉग डिलीवरी का तरीका काफी शानदार है.

‘स्कैम 2003’ एक शानदार सीरीज हैं, अगर आपने इस सीरीज के 5 एपिसोड देख लिए हैं, तो आप बिना बताए इस सीरीज के आज रिलीज हुए 5 पार्ट्स देखेंगे. लेकिन एक परफेक्ट क्राइम किस तरह से फेल होता है, इसकी दिलचस्प कहानी जानने के लिए आपको हंसल मेहता की ‘स्कैम 2003’ देखनी होगी.