'मुस्लिमों से नफरत मत करो' विनय नरवाल के बर्थडे पर पत्नी हिमांशी की भावुक अपील, किया ब्लड डोनेट

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'मुस्लिमों से नफरत मत करो' विनय नरवाल के बर्थडे पर पत्नी हिमांशी की भावुक अपील, किया ब्लड डोनेट

VInay wife

Photo Credit: Social Media


आज 1 मई 2025 को भारतीय नौसेना के शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का जन्मदिन है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले इस वीर सैनिक को याद करने के लिए उनके परिवार ने हरियाणा के करनाल में एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया है। इस मौके पर उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल ने देशवासियों से शांति और एकता की भावुक अपील की है, जो हर किसी का दिल छू रही है।

विनय नरवाल: एक वीर सैनिक की अनमोल यादें

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में उनकी शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया। आज उनके जन्मदिन पर, उनका परिवार और स्थानीय समुदाय उनकी स्मृति को सम्मान देने के लिए एकजुट हुआ है। करनाल में आयोजित रक्तदान शिविर न केवल उनकी वीरता को श्रद्धांजलि है, बल्कि उनके मानवीय मूल्यों को भी दर्शाता है। इस शिविर में सैकड़ों लोग हिस्सा ले रहे हैं, जो विनय की निस्वार्थ सेवा को याद कर रहे हैं।

हिमांशी की भावुक अपील

रक्तदान शिविर के दौरान शहीद की पत्नी हिमांशी नरवाल ने अपनी भावनाओं को साझा किया। उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि पूरा देश विनय के लिए प्रार्थना करे, ताकि वह जहां भी हों, स्वस्थ और खुश रहें।” हिमांशी की आवाज में दर्द और दृढ़ता दोनों झलक रही थी। उन्होंने समाज में फैल रही नफरत पर चिंता जताते हुए कहा, “कुछ लोग मुसलमानों या कश्मीरियों के खिलाफ नफरत भड़का रहे हैं। हम ऐसा नहीं चाहते। हम शांति चाहते हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि वह न्याय की उम्मीद रखती हैं और जिन्होंने विनय के साथ अन्याय किया, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। उनकी यह अपील न केवल भावुक करने वाली है, बल्कि देश में एकता और शांति का संदेश भी देती है।


रक्तदान शिविर: शहादत को सच्ची श्रद्धांजलि

करनाल में आयोजित रक्तदान शिविर में स्थानीय लोग, विनय के दोस्त, और उनके प्रशंसक बड़ी संख्या में शामिल हुए। यह आयोजन विनय की स्मृति में समाज सेवा का एक प्रतीक बन गया है। हिमांशी ने कहा, “विनय हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। आज हम उनकी याद में रक्तदान कर रहे हैं, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले।” यह शिविर न केवल एक सामाजिक पहल है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक शहीद का परिवार दुख की घड़ी में भी समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है।