पहली बार ओलंपिक पहुंचे सरबजोत ने जीता कांस्य पदक, पिता की आंखें हुई नम
अंबाला (हरियाणा): उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर विश्वास था कि वह ओलंपिक में जरूर जीतेगा। पहली बार में कुछ तकनीकि कमियां रहीं तो हारने के बाद बेटे का फोन आया तो सिर्फ उन्होंने इतना ही कहा कि मुझे तुझ पर विश्वास है अपना पूरा फोकस लगाकर मुकाबला खेल, हार जीत की चिंता न कर।
हरियाणा के अंबाला के मुलाना के गांव धीन के निवासी शूटर सरबजोत ने पेरिस ओलंपिक में पहली बार में कांस्य पदक झटक कर कीर्तिमान स्थापित किया है। इस पदक के आने के बाद उनके गांव ही नहीं बल्कि पूरे देश में खुशी का माहौल है। यह पदक 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स मुकाबले में सरबजोत और मनुभाकर की जोड़ी ने जीता है।
सरबजोत के लिए यह ओलंपिक में पहला पदक है तो मनु भाकर ने दूसरा पदक जीतकर सभी को गर्व का अहसास कराया है। जिस समय सरबजोत और मनु भाकर की जोड़ी का दोपहर एक बजे मुकाबला शुरू हुआ उस समय सरबजोत के पिता जितेंद्र सिंह अंबाल छावनी स्थित शूटिंग अकादमी में उसके सहयोगियों के साथ मुकाबले को देख रहे थे।
उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर विश्वास था कि वह ओलंपिक में जरूर जीतेगा। पहली बार में कुछ तकनीकि कमियां रहीं तो हारने के बाद बेटे का फोन आया तो सिर्फ उन्होंने इतना ही कहा कि मुझे तुझ पर विश्वास है अपना पूरा फोकस लगाकर मुकाबला खेल, हार जीत की चिंता न कर। फतह कर के आ, ऊपर वाला पूरा साथ देगा। आज जब सरबजोत ने अपने पहले ओलंपिक का कांस्य पदक जीता तो उनके पिता शूटिंग अकादमी में उछल पड़े। उनकी आंखें नम दिखाई दी। उन्होंने कहा कि बेटा फतह हुआ।
यू ट्यूब देखकर निशानेबाजी में बनी थी रुचि
सरबजोत सिंह ने यू-ट्यूब देखकर निशानेबाजी को अपना करियर बनाने की ठानी थी। इसे कड़ी मेहनत व लगन से सरबजोत ने सच कर दिखाया है। सरबजोत सिंह किसान जितेन्द्र सिंह का बेटा है। किसान होने के बावजूद जितेंद्र सिंह ने अपने बेटे को उसके सपने सच करने में भरपूर सहयोग किया। सरबजोत ने अपने माता-पिता सहित गांव धीन, कस्बे बराड़ा व जिला अंबाला का नाम विदेशों तक रोशन किया है ।
पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में नहीं बना सके थे जगह
सरबजोत सिंह की पेरिस ओलंपिक में शुरुआत अच्छी रही थी और वह पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने के करीब दिख रहे थे। हालांकि, उस दिन उनके भाग्य ने सरबजोत का साथ नहीं दिया और वह मामूली अंतर से इस वर्ग के फाइनल में नहीं पहुंच पाए थे। इस स्पर्धा के क्वालिफिकेशन में सरबजोत शीर्ष आठ से बाहर रहे थे जिस कारण पदक दौर के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाए थे।
सरबजोत और जर्मनी के रॉबिन वाल्टर के एक समान 577 अंक थे और संयुक्त रूप से आठवें स्थान पर थे, लेकिन सरबजोत ने रॉबिन की तुलना में एक शॉट कम मारा था जिस कारण वह नौवें स्थान पर खिसक गए थे।
स्कूल के दिनों में ही शुरू की निशानेबाजी
सरबजोत सिंह का एक सामान्य परिवार से आते हैं। उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया और उनकी निशानेबाजी के सफर में हर संभव मदद की। सरबजोत का बचपन से ही झुकाव खेलों की तरफ था और उन्होंने अपने स्कूली दिनों में ही निशानेबाजी की शुरुआत की थी। सरबजोत ने अंबाला स्थित एक क्लब में कोच अभिषेक राणा की अकादमी में ट्रेनिंग ली। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने दिल्ली का रुख किया और वहां अपनी निशानेबाजी की ट्रेनिंग को भी जारी रखा।
एशियाई खेलों में भी जीता था पदक
सरबजोत साल 2019 में आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। सरबजोत सिंह 2022 में चीन में हुए एशियाई खेलों में भारतीय शूटिंग टीम का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने वहां पर टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। सरबजोत ने एशियाई खेलों में दिव्या टी.एस. के साथ मिश्रित 10 मीटर एयर पिस्टल में भारत के लिए रजत पदक भी जीता था।