अरबपति की बेटी का दर्द: जेल में बिताए 3 हफ्ते, अब खोला मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन का राज
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भारतीय मूल के अरबपति पंकज ओसवाल की बेटी वसुंधरा ओसवाल ने युगांडा की जेल में बिताए गए 3 हफ्तों के दौरान मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया है। 26 वर्षीय वसुंधरा पर एक पूर्व कर्मचारी के अपहरण और हत्या के झूठे आरोप लगाए गए, जिसके बाद उन्हें युगांडा पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में ले लिया। यह मामला न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे भारतीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गया।
वसुंधरा ओसवाल: एक उद्योगपति परिवार की बेटी का संघर्ष
वसुंधरा ओसवाल का नाम युगांडा की जेल में बंद होने के बाद सुर्खियों में आया। उनके पिता पंकज ओसवाल भारतीय मूल के स्विस उद्योगपति हैं, जिनका परिवार युगांडा में एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) प्लांट चलाता है। वसुंधरा ने स्विस विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और प्रो इंडस्ट्रीज की कार्यकारी निदेशक के रूप में काम करती हैं। उनके परिवार के अनुसार, वह पूर्वी अफ्रीका के इथेनॉल उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति हैं और 2023 में वैश्विक युवा आइकन पुरस्कार से सम्मानित हुईं।
हिरासत की कहानी: अवैध गिरफ्तारी और मानवाधिकारों का उल्लंघन
वसुंधरा को 1 अक्टूबर 2023 को युगांडा पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। उनके परिवार का दावा है कि यह गिरफ्तारी एक पूर्व कर्मचारी महेश मेनारिया के 200,000 डॉलर के ऋण विवाद से जुड़ी है। महेश ने परिवार से ऋण लिया था, लेकिन चुकाने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसने वसुंधरा पर झूठे आरोप लगाए। पुलिस ने वसुंधरा को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया और उन्हें एक पुरुष अधिकारी के वैन में धकेल दिया। उन्हें इंटरपोल के कार्यालय ले जाया गया, जहां उन्हें बिना किसी कानूनी सहायता के बयान देने के लिए मजबूर किया गया।
जेल में बिताए गए दिन: ना खाना, ना नहाने की इजाजत
वसुंधरा ने खुलासा किया कि जेल में उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उन्हें ना तो खाने की सुविधा दी गई और ना ही नहाने की अनुमति मिली। उन्हें "लेरो प्रिजन" में रखा गया, जहां छोटे अपराधियों को कैद किया जाता है। बाद में उन्हें "नाकाला प्रिजन" में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां हत्यारे और मानव तस्करों को रखा जाता है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें "अपहरण और हत्या के प्रयास" के झूठे आरोपों में फंसाया, जबकि महेश मेनारिया बाद में तंजानिया में जीवित पाया गया।
कानूनी लड़ाई और रिहाई की कहानी
वसुंधरा के परिवार ने उनकी रिहाई के लिए 20 से अधिक वकीलों को नियुक्त किया, लेकिन प्रतिद्वंद्वियों ने उन्हें रिश्वत देकर मामले से दूर कर दिया। उन्होंने अदालत से "अनकंडीशनल रिलीज ऑर्डर" प्राप्त किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें 72 घंटे और हिरासत में रखा। अंत में, उन्हें 30,000 डॉलर और पासपोर्ट जमा करने के बाद जमानत मिली। वसुंधरा ने बताया कि यह अनुभव उनके लिए बहुत दर्दनाक था और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी।
परिवार का दावा: झूठे आरोपों का घेराव
पंकज ओसवाल ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी के खिलाफ आरोप एक पूर्व कर्मचारी के द्वारा परिवार से 200,000 डॉलर का ऋण लेने के कारण लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह से झूठा है और वसुंधरा को निर्दोष साबित करने के लिए कानूनी कार्रवाई जारी है। वसुंधरा के भाई ने सोशल मीडिया पर उनकी पवित्रता का दावा करते हुए कहा कि वह एक मक्खी को भी चोट नहीं पहुंचा सकती और हमेशा शाकाहारी रही हैं।