दो बेटियों का हवाला देकर मांगी रहम की भीख, पाकिस्तानी ने फिर भी भारतीय युवक को मार डाला

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दो बेटियों का हवाला देकर मांगी रहम की भीख, पाकिस्तानी ने फिर भी भारतीय युवक को मार डाला

 Haryana crime

Photo Credit: upuklive


तेलंगाना के निर्मल जिले के एक 40 वर्षीय प्रवासी मजदूर अष्टम प्रेमसागर की 11 अप्रैल, 2025 को दुबई में एक पाकिस्तानी सहकर्मी द्वारा चाकू मारकर हत्या कर दी गई। दो बेटियों के पिता अष्टम अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद में ढाई साल पहले दुबई गए थे। लेकिन उनकी यह कहानी अधूरी रह गई, क्योंकि उनकी छोटी बेटी का चेहरा देखने की उनकी आखिरी इच्छा भी पूरी नहीं हो सकी। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि प्रवासी मजदूरों की असुरक्षा और सांप्रदायिक तनाव के खतरों को भी उजागर करती है।

सपनों का पीछा और अधूरी मुलाकात

अष्टम प्रेमसागर ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए 2022 में दुबई का रुख किया था। उस समय उनकी पत्नी प्रमिला दूसरी बेटी के साथ गर्भवती थीं। अष्टम अपनी छोटी बेटी से कभी नहीं मिल पाए, लेकिन वह जल्द ही भारत लौटकर उसे गले लगाने की योजना बना रहे थे। उनके भाई संदीप ने बताया, “वह हमेशा फोन पर अपनी बेटी की बात करता था। वह कहता था कि इस बार घर आने पर वह उसे ढेर सारा प्यार देगा।” लेकिन 12 अप्रैल को एक फोन कॉल ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। रिश्तेदारों ने बताया कि एक सहकर्मी के साथ झगड़े में अष्टम की हत्या कर दी गई।

वक्फ संशोधन अधिनियम पर विवाद बना मौत का कारण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह झगड़ा वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर शुरू हुआ। काम के दबाव और सांप्रदायिक नफरत ने इस तनाव को हिंसक रूप दे दिया। हमलावर ने कथित तौर पर धार्मिक नारे लगाए और अष्टम पर चाकू से कई बार वार किया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अष्टम ने अपनी दो बेटियों और बुजुर्ग माता-पिता का हवाला देकर हमलावर से रहम की भीख मांगी, लेकिन उसने उनकी एक न सुनी। संदीप ने दुखी मन से कहा, “उसे सिर्फ इसलिए मार दिया गया, क्योंकि वह भारतीय था। यह सिर्फ हत्या नहीं, नफरत का परिणाम है।”

परिवार का दर्द और अनुत्तरित सवाल

अष्टम की हत्या के पांच दिन बाद भी उनके परिवार को कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली। न तो दुबई में बेकरी के मालिकों ने और न ही स्थानीय अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया। परिवार अब रिश्तेदारों से मिली खबरों पर निर्भर है। प्रमिला और उनके बच्चे सदमे में हैं, और परिवार अष्टम के शव को भारत लाने की कोशिश में जुटा है। एक परिजन ने कहा, “हमें नहीं पता कि शव कब आएगा। हमारी हालत देखकर कोई मदद को तैयार नहीं।” इस बीच, केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बात की और परिवार को मदद का आश्वासन दिया।

प्रवासी मजदूरों की असुरक्षा का सवाल

यह घटना प्रवासी मजदूरों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करती है। विदेश में काम करने वाले लाखों भारतीय मजदूर अपने परिवारों के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा और अधिकारों की अनदेखी चिंता का विषय है। अष्टम की कहानी उन तमाम परिवारों की आवाज है, जो अपने प्रियजनों को बेहतर भविष्य की खातिर विदेश भेजते हैं, लेकिन कई बार उन्हें ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं।