कनाडा की राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ आ रहा है, जहां भारतीय मूल की नेता रूबी ढल्ला प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो गई हैं। ढल्ला ने आव्रजन पर कड़ा रुख अपनाते हुए डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की तर्ज पर काम करने का संकेत दिया है। उनका वादा है कि वह उचित दस्तावेजों के बिना कनाडा में रह रहे लोगों को देश से बाहर करेंगी, जो आव्रजन नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है। अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट में ढल्ला ने स्पष्ट किया, "प्रधानमंत्री के रूप में, मैं अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालूंगी और मानव तस्करों पर लगाम लगाऊंगी। यह मेरा आपसे वादा है।" यह विशेष रूप से दिलचस्प है क्योंकि ढल्ला स्वयं एक प्रवासी परिवार से हैं।
ट्रूडो के इस्तीफे का प्रभाव
कनाडा में इस वर्ष अक्टूबर के अंत में चुनाव होने वाले हैं। ट्रूडो के संभावित इस्तीफे की खबर को उनकी लिबरल पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। रॉयटर्स के अनुसार, चुनाव से पहले लगातार निराशाजनक सर्वे सामने आ रहे हैं और इससे चिंतित लिबरल सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है। इन सांसदों ने ट्रूडो से सार्वजनिक रूप से पद छोड़ने का आग्रह किया है। जनमत सर्वेक्षण की तस्वीर
इप्सोस पोल के अनुसार, 73 प्रतिशत लोग मानते हैं कि ट्रूडो को इस्तीफा देना चाहिए और लिबरल्स को नया नेता चुनना चाहिए, जबकि केवल 27 प्रतिशत लोग ट्रूडो के साथ हैं। एंगस रीड इंस्टीट्यूट के सर्वेक्षण में दिखाया गया है कि लिबरल पार्टी का समर्थन ऐतिहासिक रूप से सबसे कम होकर मात्र 16 प्रतिशत रह गया है। भारत-कनाडा संबंधों का प्रभाव
2023 में कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव आया। कनाडा ने इस हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद दोनों देशों ने अपने राजनयिक वापस बुला लिए। ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि इस हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के सबूत हैं। छात्र वीजा नीति में बदलाव
हाल ही में कनाडा ने भारत समेत कई देशों के छात्रों के लिए फास्टट्रैक वीजा प्रोग्राम यानी 'स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम' को समाप्त कर दिया है। कनाडा सरकार का कहना है कि वह सभी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए पढ़ाई के लिए परमिट की आवेदन प्रक्रिया को समान और निष्पक्ष रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यक्रम 2018 में शुरू किया गया था।