0.49 KM में बसा देश, लेकिन बजट संकट गहराया! आर्थिक हालत देख उड़ जाएंगे होश

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0.49 KM में बसा देश, लेकिन बजट संकट गहराया! आर्थिक हालत देख उड़ जाएंगे होश

Vatican City

Photo Credit: Social Media


वेटिकन सिटी, दुनिया का सबसे छोटा देश, अपनी अनूठी पहचान और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। इटली की राजधानी रोम के बीचों-बीच बसा यह देश केवल 0.49 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जहां करीब 800 लोग रहते हैं। यह कैथोलिक ईसाइयों का पवित्र केंद्र है, जहां सेंट पीटर्स बेसिलिका, सिस्टीन चैपल और वेटिकन म्यूजियम जैसे विश्व प्रसिद्ध स्थल हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह छोटा-सा देश पूरी तरह दान के सहारे चलता है? आइए, इस अनोखे मुल्क की आर्थिक कहानी और चुनौतियों को करीब से जानें।

वेटिकन सिटी: एक स्वतंत्र धार्मिक केंद्र

1929 में स्वतंत्र देश का दर्जा पाने वाला वेटिकन सिटी कैथोलिक चर्च का दिल है। यहां की सरकार का नेतृत्व स्वयं पोप करते हैं, जो न केवल धार्मिक गुरु हैं, बल्कि देश के प्रशासक भी हैं। इसकी अपनी करेंसी, डाक सेवा और प्रशासनिक व्यवस्था है। लेकिन इस छोटे से देश को चलाने के लिए धन की जरूरत होती है, और यह धन मुख्य रूप से दान से आता है।

दान: वेटिकन की आर्थिक रीढ़

वेटिकन सिटी अपने नागरिकों पर कोई टैक्स नहीं लगाता, न ही यह सरकारी बांड जारी करता है। इसकी अर्थव्यवस्था का आधार है ‘पीटर्स पेंस’, जो कैथोलिक समुदाय द्वारा पोप के लिए दिया जाने वाला दान है। हर साल जून के आखिरी रविवार को दुनिया भर के कैथोलिक इस दान में योगदान देते हैं। खासकर अमेरिका से आने वाला दान वेटिकन की आय का बड़ा हिस्सा है, जो लगभग 2.7 करोड़ डॉलर सालाना होता है। इसके अलावा, वेटिकन म्यूजियम की टिकट बिक्री, निवेश और कुछ रियल एस्टेट से भी आय होती है। दुनिया भर के बिशपों द्वारा दिया जाने वाला वार्षिक शुल्क भी वेटिकन की आर्थिक मदद करता है।

आर्थिक संकट की चुनौती

हाल के वर्षों में वेटिकन सिटी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। 2021 में वेटिकन की आय 87.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर थी, लेकिन खर्च इससे कहीं ज्यादा रहा। नए पोप लियो 14वें के सामने सबसे बड़ी चुनौती है इस घाटे को कम करना। पीटर्स पेंस से होने वाली आय में लगातार कमी आ रही है, और वेटिकन के अपने संस्थानों से मिलने वाला राजस्व भी घट रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोप में दान देने की परंपरा कमजोर है, जिसके कारण वेटिकन को अमेरिका पर निर्भरता बढ़ रही है। लेकिन अब समय आ गया है कि वेटिकन अन्य देशों से दान जुटाने की रणनीति बनाए।

संपत्तियों का बोझ

वेटिकन के पास इटली, लंदन, पेरिस, जिनेवा और स्विट्जरलैंड में 5,449 से ज्यादा संपत्तियां हैं। लेकिन इनमें से 70% संपत्तियां कोई आय नहीं देतीं, क्योंकि इनमें चर्च कार्यालय या अन्य धार्मिक संस्थान हैं। बाकी संपत्तियों को कम किराए पर सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता है। 2023 में इन संपत्तियों से केवल 3.99 करोड़ डॉलर की आय हुई, जो रखरखाव के खर्च की तुलना में बहुत कम है। कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि वेटिकन को अपनी कुछ संपत्तियों को बेचना चाहिए, ताकि रखरखाव का बोझ कम हो और आर्थिक स्थिति सुधरे।

बदलते समय, घटती भीड़

वेटिकन की एक और चुनौती है कैथोलिक चर्च में घटती भीड़। अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में चर्चों में आने वाले लोगों की संख्या लगातार कम हो रही है। कभी भरे रहने वाले चर्च अब खाली दिखते हैं, जिसका सीधा असर दान पर पड़ रहा है। कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका के विशेषज्ञ रॉबर्ट गहल कहते हैं कि वेटिकन को अब नए तरीके खोजने होंगे, ताकि वह अपनी आर्थिक स्थिरता को बनाए रख सके।