सावधान! टी बैग्स से चाय पी रहे हैं तो निगल रहे हैं अरबों माइक्रोप्लास्टिक

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सावधान! टी बैग्स से चाय पी रहे हैं तो निगल रहे हैं अरबों माइक्रोप्लास्टिक

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चाय की चुस्की हर भारतीय की दिनचर्या का हिस्सा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके प्यारे टी बैग्स सेहत के लिए खतरा बन सकते हैं? हाल के शोध बताते हैं कि टी बैग्स से चाय पीने पर आप अनजाने में अरबों माइक्रोप्लास्टिक कण निगल रहे हैं। ये छोटे-छोटे कण आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए, जानते हैं कि टी बैग्स क्यों हैं खतरनाक और चाय पीने के सुरक्षित तरीके क्या हैं।

टी बैग्स में छिपा खतरा: माइक्रोप्लास्टिक

टी बैग्स सुविधाजनक और समय बचाने वाले लगते हैं, लेकिन इनमें छिपा खतरा आपकी सेहत को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। ज्यादातर टी बैग्स प्लास्टिक सामग्री, जैसे नायलॉन या पॉलीप्रोपाइलीन, से बने होते हैं। गर्म पानी में डुबोने पर ये बैग्स अरबों माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक कण छोड़ते हैं, जो चाय के साथ आपके शरीर में चले जाते हैं। शोध के अनुसार, एक टी बैग से निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा इतनी अधिक होती है कि यह लंबे समय में स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। माइक्रोप्लास्टिक पाचन तंत्र, रक्त और यहां तक कि मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं, जिससे सूजन, हार्मोनल असंतुलन और अन्य बीमारियां हो सकती हैं।

माइक्रोप्लास्टिक का सेहत पर असर

माइक्रोप्लास्टिक के कण इतने छोटे होते हैं कि ये शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश कर सकते हैं। ये कण पाचन तंत्र में जलन, आंतों की कार्यक्षमता में कमी और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकते हैं। कुछ अध्ययनों में माइक्रोप्लास्टिक को प्रजनन समस्याओं, हार्मोनल बदलावों और कैंसर के जोखिम से भी जोड़ा गया है। नियमित रूप से टी बैग्स का उपयोग करने से ये कण शरीर में जमा होते रहते हैं, जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं। खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह खतरा और गंभीर हो सकता है। इसीलिए, चाय पीने की आदतों में बदलाव करना जरूरी है।

सुरक्षित चाय पीने के प्राकृतिक तरीके

टी बैग्स के बजाय पारंपरिक तरीके से चाय बनाना न केवल सुरक्षित है, बल्कि स्वाद में भी बेहतर है। ढीली चायपत्ती (loose tea leaves) का उपयोग करें और स्टील या मिट्टी के बर्तन में चाय बनाएं। चाय को छानने के लिए स्टेनलेस स्टील की छलनी इस्तेमाल करें। अगर सुविधा चाहिए, तो ऑर्गेनिक कॉटन या पेपर से बने टी बैग्स चुनें, जो प्लास्टिक-मुक्त हों। इसके अलावा, हर्बल चाय या आयुर्वेदिक काढ़े जैसे तुलसी, अदरक या पुदीने की चाय आजमाएं, जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं। चाय बनाते समय ज्यादा देर तक उबालने से बचें, ताकि पोषक तत्व बरकरार रहें। ये छोटे बदलाव आपकी सेहत को माइक्रोप्लास्टिक के खतरे से बचा सकते हैं।

पर्यावरण पर भी पड़ता है असर

माइक्रोप्लास्टिक का नुकसान केवल मानव शरीर तक सीमित नहीं है; यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। टी बैग्स से निकलने वाले प्लास्टिक कण मिट्टी और पानी में जमा होते हैं, जिससे जल और मृदा प्रदूषण बढ़ता है। यह जलीय जीवों और खाद्य श्रृंखला को प्रभावित करता है। प्लास्टिक-मुक्त टी बैग्स या ढीली चायपत्ती का उपयोग करके आप पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं। अपने और प्रकृति के लिए जिम्मेदार विकल्प चुनें।

सावधानियां और सुझाव

टी बैग्स खरीदते समय उनके पैकेजिंग पर सामग्री की जांच करें। अगर “प्लास्टिक-फ्री” या “बायोडिग्रेडेबल” लिखा हो, तो ही उन्हें चुनें। चाय को गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का उपयोग न करें, क्योंकि इससे प्लास्टिक कण और तेजी से निकल सकते हैं। अगर आप नियमित रूप से टी बैग्स का उपयोग कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे ढीली चायपत्ती की ओर शिफ्ट करें। स्वास्थ्य समस्याओं जैसे पाचन या हार्मोनल असंतुलन के लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से सलाह लें। पर्याप्त पानी पीना और संतुलित आहार लेना भी माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।

निष्कर्ष: चाय की चुस्की को बनाएं सुरक्षित

चाय हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन इसके साथ सेहत का ख्याल रखना जरूरी है। टी बैग्स से निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक आपके शरीर और पर्यावरण के लिए खतरा हैं। ढीली चायपत्ती और प्लास्टिक-मुक्त विकल्प अपनाकर आप सुरक्षित और स्वादिष्ट चाय का आनंद ले सकते हैं। आज से ही अपनी चाय की आदत बदलें और सेहत को प्राथमिकता दें!