खाना खाते ही टॉयलेट जाने की तलब? ये कारण जानकर उड़ जाएंगे होश!

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खाना खाते ही टॉयलेट जाने की तलब? ये कारण जानकर उड़ जाएंगे होश!

Western toilet

Photo Credit: Social Media


क्या आपने कभी गौर किया कि खाना खाते ही आपको तुरंत बाथरूम की ओर दौड़ना पड़ता है? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। यह एक आम अनुभव है, जिसके पीछे छिपा है एक खास शारीरिक प्रक्रिया, जिसे गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स कहते हैं। हार्वर्ड के मशहूर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो के जरिए इस विषय पर विस्तार से बात की है। उन्होंने न केवल इस रिफ्लेक्स के बारे में बताया, बल्कि इससे राहत पाने के लिए कुछ कारगर उपाय भी सुझाए हैं। आइए, इस लेख में हम इस समस्या को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है, ताकि आप बिना किसी परेशानी के अपने भोजन का आनंद उठा सकें।

गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स: शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया

गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हमारे शरीर में भोजन के पेट में पहुंचते ही शुरू हो जाती है। डॉ. सेठी के अनुसार, जैसे ही खाना पेट में जाता है, हमारा शरीर कुछ खास हार्मोन रिलीज करता है। ये हार्मोन कोलन (बड़ी आंत) में संकुचन को ट्रिगर करते हैं, जिससे आंत में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ आगे बढ़ता है। यही वजह है कि खाना खाने के तुरंत बाद आपको शौच जाने की इच्छा महसूस हो सकती है। यह रिफ्लेक्स हर व्यक्ति में होता है और सामान्य तौर पर इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। हालांकि, अगर इसके साथ आपको पेट में दर्द, दस्त या अन्य असामान्य लक्षण दिखाई दें, तो यह किसी गंभीर पाचन समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

क्यों होती है यह समस्या ज्यादा गंभीर?

कई बार गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स सामान्य से ज्यादा सक्रिय हो सकता है। यह स्थिति खासकर उन लोगों में देखी जाती है, जो इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। ज्यादा तीव्र रिफ्लेक्स के कारण बार-बार शौच जाना, पेट में ऐंठन या गैस की समस्या हो सकती है। कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे कि तैलीय भोजन, मसालेदार खाना या कैफीन युक्त पेय, इस रिफ्लेक्स को और उत्तेजित कर सकते हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि कुछ आसान बदलावों के साथ इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स से राहत के लिए आजमाएं ये उपाय

इस समस्या से निपटने के लिए आपको अपनी जीवनशैली और खानपान में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करने होंगे। ये उपाय न केवल गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स को कम करने में मदद करेंगे, बल्कि आपके समग्र पाचन स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएंगे।

1. छोटे-छोटे भोजन करें

अगर आप एक बार में ढेर सारा खाना खा लेते हैं, तो इससे गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स और तेज हो सकता है। इसके बजाय, दिन में 5-6 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं। इससे आपका पाचन तंत्र सुचारू रूप से काम करेगा और गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएं भी कम होंगी। छोटे भोजन न केवल पेट पर दबाव कम करते हैं, बल्कि आपके शरीर को पोषक तत्वों को बेहतर ढंग से अवशोषित करने में भी मदद करते हैं।

2. सॉल्युबल फाइबर को बनाएं डाइट का हिस्सा

अपनी डाइट में सॉल्युबल फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। ओट्स, सेब, गाजर और हल्के हरे केले जैसे खाद्य पदार्थ इस रिफ्लेक्स को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। डॉ. सेठी सलाह देते हैं कि पके हुए पीले केले की बजाय हल्के हरे केले खाएं, क्योंकि इनमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है और ये पाचन को धीमा करने में सहायक होते हैं।

3. ट्रिगर करने वाले खाद्य पदार्थों से रहें दूर

कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे कि तला-भुना खाना, मसालेदार भोजन, और कॉफी या चाय जैसे कैफीन युक्त पेय, गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स को बढ़ा सकते हैं। इनका सेवन कम करें और देखें कि कौन से खाद्य पदार्थ आपके लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। एक फूड डायरी बनाकर आप यह आसानी से ट्रैक कर सकते हैं कि किन चीजों से आपकी समस्या बढ़ती है।

4. लो FODMAP डाइट का सहारा लें

अगर गैस्ट्रोकोलिक रिफ्लेक्स की समस्या बार-बार हो रही है, तो डॉक्टर की सलाह पर लो FODMAP डाइट आजमाएं। यह एक विशेष आहार है, जिसमें कुछ कार्बोहाइड्रेट्स को अस्थायी रूप से सीमित किया जाता है। यह डाइट खासकर IBS जैसी समस्याओं में फायदेमंद साबित होती है। हालांकि, इसे शुरू करने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।

कब लें डॉक्टर की सलाह?

अगर आपको सामान्य से ज्यादा बार शौच जाने की जरूरत महसूस होती है या इसके साथ पेट दर्द, दस्त या अन्य असहज लक्षण दिखाई देते हैं, तो इसे हल्के में न लें। यह इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS), क्रोहन डिजीज या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत किसी गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट से संपर्क करें और जरूरी जांच करवाएं।