अंडा वेज है या नॉन-वेज? वैज्ञानिक जवाब ने सुलझाया सालों पुराना विवाद

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अंडा वेज है या नॉन-वेज? वैज्ञानिक जवाब ने सुलझाया सालों पुराना विवाद

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Photo Credit: UPUKLive


अंडा खाने वालों के बीच यह सवाल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है कि आखिर अंडा वेज है या नॉन-वेज। कुछ लोग इसे शाकाहारी मानते हैं, तो कुछ इसे मांसाहारी भोजन की श्रेणी में रखते हैं। यह सवाल न केवल रसोई में, बल्कि सामाजिक और धार्मिक चर्चाओं में भी भ्रम पैदा करता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस उलझन को हमेशा के लिए सुलझाने वाला जवाब दे दिया है। आइए, इस लेख में जानते हैं कि अंडा वास्तव में क्या है और क्यों है यह सवाल इतना जटिल।

अंडे की वैज्ञानिक परिभाषा

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो अंडा एक मुर्गी का प्रजनन उत्पाद है। यह एक भ्रूण होता है, जो निषेचित होने पर चूजे में बदल सकता है। हालांकि, ज्यादातर बाजार में उपलब्ध अंडे निषेचित नहीं होते, यानी इनमें चूजा बनने की संभावना नहीं होती। वैज्ञानिकों का कहना है कि अंडे को नॉन-वेज माना जाता है, क्योंकि यह एक जीव (मुर्गी) से उत्पन्न होता है। फिर भी, इसमें मांस या रक्त जैसा कोई तत्व नहीं होता, जिसके कारण कई लोग इसे शाकाहारी मानने की वकालत करते हैं। यह वैज्ञानिक जवाब स्पष्ट करता है कि तकनीकी रूप से अंडा नॉन-वेज है, लेकिन इसका सेवन सांस्कृतिक और व्यक्तिगत मान्यताओं पर निर्भर करता है।

सांस्कृतिक और धार्मिक नजरिया

भारत जैसे देश में, जहां खान-पान को लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं गहरी हैं, अंडे का वर्गीकरण और भी जटिल हो जाता है। कई शाकाहारी परिवार अंडे को नॉन-वेज मानकर इससे दूरी बनाए रखते हैं, जबकि कुछ लोग इसे प्रोटीन का सस्ता और पौष्टिक स्रोत मानकर खाते हैं। जैन और वैष्णव समुदाय जैसे धार्मिक समूह अंडे को पूरी तरह से अस्वीकार करते हैं, क्योंकि इसे जीव-उत्पाद माना जाता है। दूसरी ओर, पश्चिमी देशों में अंडे को शाकाहारी भोजन के रूप में स्वीकार किया जाता है, खासकर अगर वह निषेचित न हो। यह सांस्कृतिक अंतर ही अंडे को लेकर भ्रम की सबसे बड़ी वजह है।

अंडे का पोषण मूल्य और इसका महत्व

विवादों से परे, अंडा एक पौष्टिक भोजन है, जो प्रोटीन, विटामिन डी, और आवश्यक फैटी एसिड से भरपूर होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चाहे इसे वेज माना जाए या नॉन-वेज, इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है, बशर्ते यह संतुलित मात्रा में खाया जाए। भारत में, जहां कुपोषण एक बड़ी समस्या है, अंडे को स्कूलों में मिड-डे मील में शामिल करने की मांग बढ़ रही है। यह न केवल बच्चों के शारीरिक विकास में मदद करता है, बल्कि इसे तैयार करना भी आसान और किफायती है।

क्यों है यह सवाल इतना लोकप्रिय?

अंडे को लेकर यह बहस इसलिए भी चलती रहती है, क्योंकि यह खान-पान की आदतों, व्यक्तिगत पसंद, और सामाजिक मान्यताओं को छूता है। सोशल मीडिया पर अक्सर लोग इस सवाल पर मजेदार मीम्स और बहस करते नजर आते हैं। रेस्तरां में भी "शुद्ध शाकाहारी" मेन्यू में अंडे को शामिल करने पर विवाद होता है। वैज्ञानिक जवाब के बावजूद, यह सवाल व्यक्तिगत और सांस्कृतिक मान्यताओं के आधार पर हमेशा प्रासंगिक रहेगा।