डायबिटिक फुट का खतरा? इन लक्षणों को न करें अनदेखा!

मधुमेह (डायबिटीज) न केवल रक्त शर्करा को प्रभावित करता है, बल्कि यह शरीर के अन्य हिस्सों, खासकर पैरों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। डायबिटिक फुट एक ऐसी गंभीर स्थिति है, जो मधुमेह रोगियों में पैरों से जुड़ी कई समस्याओं को जन्म दे सकती है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह जटिलताएं बढ़ सकती हैं। आइए जानें कि डायबिटिक फुट क्या है, इसके लक्षण और शुरुआत कैसे होती है, और इससे बचाव के लिए क्या करें!
डायबिटिक फुट क्या है?
डायबिटिक फुट मधुमेह रोगियों में होने वाली एक जटिलता है, जिसमें पैरों की नसों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है। लंबे समय तक अनियंत्रित रक्त शर्करा के कारण पैरों में रक्त संचार कम हो जाता है और नसें कमजोर पड़ती हैं। इससे पैरों में सुन्नता, झुनझुनी, घाव या संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। छोटे-छोटे घाव भी जल्दी ठीक नहीं होते और अल्सर या गंभीर संक्रमण का रूप ले सकते हैं। यह स्थिति उचित देखभाल के अभाव में पैरों के विच्छेदन तक का कारण बन सकती है।
डायबिटिक फुट की शुरुआत और लक्षण
डायबिटिक फुट की शुरुआत धीरे-धीरे होती है और कई बार इसके लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। पैरों में झुनझुनी, सुन्नता या जलन का अहसास इसके शुरुआती संकेत हैं। पैरों की त्वचा रूखी या फटी हुई दिख सकती है। छोटे-छोटे कट या घाव जो ठीक होने में समय लेते हैं, भी चेतावनी हो सकते हैं। कुछ मरीजों को पैरों में ठंडक, रंग बदलना (लाल या नीला) या सूजन दिखाई देती है। गंभीर मामलों में, घावों से मवाद या दुर्गंध आ सकती है। अगर आपको ये लक्षण दिखें, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
जोखिम के कारण
डायबिटिक फुट का खतरा उन मधुमेह रोगियों में ज्यादा होता है, जिनका रक्त शर्करा नियंत्रित नहीं रहता। धूम्रपान, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और गतिहीन जीवनशैली इस जोखिम को और बढ़ाते हैं। तंग जूते पहनना, पैरों की उचित देखभाल न करना और नंगे पैर चलना भी घाव या संक्रमण का कारण बन सकता है। डायबिटीज के कारण नसों की संवेदनशीलता कम होने से मरीजों को चोट या दर्द का अहसास नहीं होता, जिससे समस्या गंभीर हो जाती है।
बचाव के उपाय
डायबिटिक फुट से बचाव के लिए जागरूकता और देखभाल सबसे जरूरी है। अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखें और नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करवाएं। पैरों की रोजाना सफाई करें और हल्के गुनगुने पानी व माइल्ड साबुन का उपयोग करें। पैरों को अच्छे से सुखाएं, खासकर उंगलियों के बीच। मॉइस्चराइजर लगाएं, लेकिन उंगलियों के बीच नहीं। आरामदायक, अच्छी फिटिंग वाले जूते पहनें और नंगे पैर न चलें। छोटे-छोटे कट या घाव को तुरंत साफ करें और डॉक्टर से सलाह लें।
जीवनशैली में बदलाव
स्वस्थ जीवनशैली डायबिटिक फुट के जोखिम को कम करती है। संतुलित आहार लें, जिसमें हरी सब्जियां, साबुत अनाज और कम चीनी शामिल हो। नियमित व्यायाम, जैसे 30 मिनट की सैर, रक्त संचार को बेहतर बनाता है। धूम्रपान और शराब से पूरी तरह दूरी बनाएं। तनाव प्रबंधन के लिए योग और ध्यान अपनाएं। अपने पैरों की रोजाना जांच करें और किसी भी असामान्य बदलाव को गंभीरता से लें।
सावधानियां और सुझाव
डायबिटिक फुट से बचाव के लिए छोटी-छोटी सावधानियां जरूरी हैं। पैरों को गर्म पानी या हीटर से दूर रखें, क्योंकि सुन्नता के कारण जलने का खतरा रहता है। नाखूनों को सावधानी से काटें और कॉर्न्स या कठोर त्वचा को खुद न हटाएं। अगर आपको डायबिटीज है, तो नियमित रूप से पोडियाट्रिस्ट (पैरों के विशेषज्ञ) से मिलें। किसी भी दवा या मरहम का उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।
समय पर सतर्कता, स्वस्थ पैर
डायबिटिक फुट एक गंभीर स्थिति है, लेकिन सही देखभाल और जागरूकता से इसे रोका जा सकता है। अपने पैरों को नियमित रूप से जांचें, रक्त शर्करा को नियंत्रित रखें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। यह छोटे-छोटे कदम आपके पैरों को स्वस्थ और आपके जीवन को खुशहाल बनाएंगे!