शोध का चौंकाने वाला सच, इतने प्रतिशत लोग नहीं दे पाते पत्नी को संतुष्टि

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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शोध का चौंकाने वाला सच, इतने प्रतिशत लोग नहीं दे पाते पत्नी को संतुष्टि

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Photo Credit: UPUKLive


हाल ही में एक शोध ने भारत के वैवाहिक जीवन को लेकर ऐसा खुलासा किया है, जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। यह शोध बताता है कि देश में बहुत से लोग अपनी पत्नी को पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाते। यह बात सुनने में जितनी हैरान करने वाली है, उतनी ही गहरी सोच में डालने वाली भी। शादीशुदा जिंदगी में प्यार, विश्वास और संतुष्टि का होना कितना जरूरी है, यह हर कोई जानता है। लेकिन जब इस संतुष्टि की बात सामने आती है, तो आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। इस शोध ने न सिर्फ लोगों की नजरों में सवाल खड़े किए हैं, बल्कि समाज में इस मुद्दे पर खुलकर बात करने की जरूरत को भी उजागर किया है।

शोध का आधार और मकसद

यह शोध देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले शादीशुदा जोड़ों के बीच किया गया। इसका मकसद यह समझना था कि भारत में पति-पत्नी के रिश्ते में शारीरिक और भावनात्मक संतुष्टि का स्तर क्या है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए कई सवाल पूछे, जिनमें से कुछ बेहद निजी थे। लोगों से उनकी जिंदगी के उन पहलुओं के बारे में बात की गई, जो आमतौर पर घर की चारदीवारी के भीतर ही रहते हैं। इस शोध में बड़े शहरों से लेकर छोटे गाँवों तक के लोगों को शामिल किया गया, ताकि एक साफ और सच्ची तस्वीर सामने आ सके। इसकी रिपोर्ट ने जो नतीजे दिखाए, वे वाकई चौंकाने वाले थे और समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।

कितने लोग हैं असफल

शोध के मुताबिक, भारत में एक बड़ा प्रतिशत लोग अपनी पत्नी को पूरी तरह संतुष्ट करने में नाकाम रहते हैं। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि इसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है। शोध में यह नहीं बताया गया कि यह प्रतिशत कितना ठीक-ठीक है, लेकिन इतना साफ है कि यह संख्या छोटी नहीं है। पुरुषों की यह नाकामी सिर्फ शारीरिक संतुष्टि तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भावनात्मक जुड़ाव की कमी भी शामिल है। कई महिलाओं ने बताया कि उन्हें अपने पति से वह प्यार और अपनापन नहीं मिलता, जो एक खुशहाल रिश्ते के लिए जरूरी है। यह खुलासा समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच संवाद की कमी को भी दिखाता है।

वजहें जो सामने आईं

इस शोध में कई वजहें सामने आईं, जो इस समस्या की जड़ हैं। सबसे बड़ी वजह है जिंदगी की भागदौड़ और तनाव। आज के समय में लोग काम और रोजमर्रा की जिम्मेदारियों में इतने उलझे हैं कि वे अपने रिश्ते पर ध्यान नहीं दे पाते। इसके अलावा, शादी के बाद रोमांस और प्यार का धीरे-धीरे कम होना भी एक कारण बताया गया। कई जोड़ों ने माना कि शादी के कुछ साल बाद उनकी जिंदगी में वह उत्साह और नजदीकी नहीं रहती, जो पहले थी। कुछ मामलों में पुरुषों की सेहत से जुड़ी परेशानियाँ भी इसकी वजह बनीं। इन सबके बीच एक और बड़ी बात सामने आई कि लोग इस मुद्दे पर खुलकर बात करने से हिचकते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।

भावनात्मक दूरी का असर

शोध में यह भी पता चला कि शारीरिक संतुष्टि की कमी से ज्यादा भावनात्मक दूरी इस समस्या को बढ़ाती है। कई महिलाओं ने कहा कि उनके पति उनके साथ वक्त नहीं बिताते, उनकी भावनाओं को नहीं समझते और घर में सिर्फ जिम्मेदारियों को निभाने तक सीमित रहते हैं। यह दूरी न सिर्फ उनके रिश्ते को कमजोर करती है, बल्कि महिलाओं में अकेलापन और उदासी भी लाती है। शोध बताता है कि जब पति-पत्नी के बीच बातचीत और प्यार का रिश्ता कमजोर पड़ता है, तो संतुष्टि का स्तर भी नीचे चला जाता है। यह भावनात्मक कमी रिश्ते में एक खालीपन पैदा कर देती है, जिसे भरना आसान नहीं होता।

समाज का नजरिया

भारत में शादी को बहुत पवित्र और खास माना जाता है। यहाँ पति-पत्नी के रिश्ते को सिर्फ दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन समझा जाता है। लेकिन इस शोध ने यह सवाल उठाया कि क्या हम इस रिश्ते की गहराई को सचमुच समझते हैं? समाज में संतुष्टि जैसे निजी मुद्दों पर बात करना अभी भी शर्मिंदगी की बात मानी जाती है। लोग इसे छिपाते हैं और इसे अपनी नाकामी समझते हैं। इस सोच की वजह से न तो पुरुष अपनी परेशानी खुलकर बता पाते हैं, और न ही महिलाएँ अपनी जरूरतों को सामने ला पाती हैं। यह चुप्पी समस्या को और जटिल बना देती है।

पुरुषों की सोच

शोध में पुरुषों की सोच पर भी रोशनी डाली गई। कई पुरुषों ने माना कि वे अपनी पत्नी की संतुष्टि को लेकर ज्यादा नहीं सोचते। कुछ का मानना था कि शादी के बाद उनकी जिम्मेदारी सिर्फ घर चलाना और पैसा कमाना है। इस सोच ने उनके और उनकी पत्नी के बीच एक अनजानी दूरी बना दी। कुछ पुरुषों ने यह भी कहा कि उन्हें अपनी परेशानियों को साझा करने में झिझक होती है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उनकी मर्दानगी पर सवाल उठाएगा। यह सोच न सिर्फ उनके रिश्ते को कमजोर करती है, बल्कि उनकी पत्नी को भी अधूरापन महसूस कराती है।

महिलाओं की आवाज

इस शोध में महिलाओं की आवाज भी सुनी गई। कई महिलाओं ने बताया कि वे अपने पति से संतुष्टि की उम्मीद तो रखती हैं, लेकिन इसे खुलकर कह नहीं पातीं। उन्हें डर रहता है कि उनकी बात को गलत समझा जाएगा या परिवार में उनकी इज्जत कम हो जाएगी। कुछ महिलाओं ने यह भी कहा कि वे अपनी जरूरतों को दबा देती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उनकी जिम्मेदारी है। लेकिन इस चुप्पी का असर उनकी जिंदगी पर पड़ता है और वे अंदर ही अंदर परेशान रहती हैं। यह शोध महिलाओं की इस खामोशी को तोड़ने की जरूरत को सामने लाता है।