Valentine Week: पढ़िए शाहजहां और मुमताज महल की क़यामत तक याद रखी जाने वाली प्रेम कहानी
प्यार में इंसान क्या से क्या कर जाता है इसकी मिसाल है ताजमहल। दुनिया के 7 अजूबों में से एक और प्यार की हमेशा जिंदा रहने वाली मिसाल। शाहजहां के 14वें बच्चे को जन्म देते समय मुमताज महल भले ही इस दुनिया से चली गई। लेकिन शाहजहां ने ताजमहल बनाकर उसको अमर कर दिया।
मुमताज महल का असली नाम अर्जुमंद बानो था. मुमताज महल का जन्म अप्रैल 1593 में आगरा में हुआ था.
14 साल की उम्र में मुमताज महल की सगाई शाहजहां के साथ हुई. दोनों की मुलाकात एक बाजार में हुई थी. सगाई के पांच साल बाद 10 मई, 1612 को शाहजहां से मुमताज का निकाह हुआ.
मुमताज महल शाहजहां की तीसरी और पसंदीदा बेगम थी. मुमताज महल बहुत अच्छी शतरंज खिलाड़ी थी. वे शाहजहां से भी अच्छा खेल लेती थीं. 19 साल तक चली शादी में उनके 14 बच्चे हुए, जिनमें से सात की कम उम्र में ही मौत हो गई.
मुमताज महल का निधन बुरहानपुर में 17 जून, 1631 को बेटी गौहारा बेगम को जन्म देते वक्त हुआ. मृत्यु के बाद मुमताज महल को मुंबई के पास “बुरहानपुर” नाम के नगर में दफनाया गया था. मुमताज महल की याद में शाहजहां ने ताजमहल बनाने का फैसला किया, जिसके निर्माण में 22 साल लगे.
बुरहानपुर के जैनाबाद से मुमताज महल के जनाजे को एक विशाल जुलूस के साथ आगरा ले जाया गया और ताजमहल के गर्भगृह में दफना दिया गया.उस जुलूस पर उस समय आठ करोड़ रुपये खर्च हुए थे.