शोध का चौंकाने वाला खुलासा: भारत की इतने फीसदी महिलाएँ पुरुषों को क्यों कह रही हैं ना?, लड़कियां आ रहीं पसंद

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शोध का चौंकाने वाला खुलासा: भारत की इतने फीसदी महिलाएँ पुरुषों को क्यों कह रही हैं ना?, लड़कियां आ रहीं पसंद

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Photo Credit: AI


हाल ही में हुए एक शोध ने भारत में रिश्तों को लेकर एक ऐसी सच्चाई सामने लाई है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। इस शोध के मुताबिक, देश में एक बड़ा प्रतिशत महिलाएँ पुरुषों के बजाय महिलाओं के साथ ही संबंध बनाना पसंद करती हैं। यह खुलासा न सिर्फ समाज में रिश्तों की बदलती सोच को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि महिलाओं की पसंद और भावनाएँ अब पहले से कहीं ज्यादा खुलकर सामने आ रही हैं। इस शोध ने लोगों के बीच चर्चा का माहौल बना दिया है, क्योंकि यह परंपरागत सोच से बिल्कुल अलग है। आखिर क्या वजह है कि महिलाएँ ऐसा सोच रही हैं और उनकी यह पसंदगी समाज में कैसे देखी जा रही है?

शोध में यह बात सामने आई है कि भारत में महिलाओं का एक खास हिस्सा पुरुषों से दूरी बनाकर रखना चाहता है। उनकी नजर में पुरुषों के साथ रिश्ते उतने आकर्षक नहीं हैं, जितने कि महिलाओं के साथ। यह बदलाव सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे कस्बों और गाँवों में भी इस सोच ने अपनी जगह बनाई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके पीछे कई सामाजिक और भावनात्मक कारण हो सकते हैं, जो महिलाओं को ऐसा सोचने के लिए प्रेरित करते हैं। यह खबर न सिर्फ चौंकाती है, बल्कि हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वाकई समाज में रिश्तों की परिभाषा बदल रही है।

महिलाओं की पसंद में आया बदलाव

इस शोध के अनुसार, महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जो अपने ही जेंडर के साथ ज्यादा सहज महसूस करता है। उनकी यह पसंद सिर्फ शारीरिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव में भी वे महिलाओं को ज्यादा करीब पाती हैं। शोध में शामिल कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें पुरुषों के साथ रिश्तों में वह सुकून और समझ नहीं मिलती, जो महिलाओं के साथ मिलता है। यह बात समाज की उस पुरानी सोच को चुनौती देती है, जिसमें माना जाता था कि महिलाएँ सिर्फ पुरुषों के साथ ही रिश्ते बना सकती हैं।

इस बदलाव के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि आज की महिलाएँ अपनी आजादी और पसंद को पहले से ज्यादा अहमियत देती हैं। वे अब अपनी जिंदगी के फैसले खुद लेना चाहती हैं और इसमें उनकी भावनाएँ भी शामिल हैं। इसके अलावा, समाज में बढ़ती जागरूकता और शिक्षा ने भी उन्हें अपनी पसंद को खुलकर जाहिर करने की हिम्मत दी है। यह शोध इस बात का सबूत है कि महिलाएँ अब अपनी भावनाओं को दबाने के बजाय उन्हें स्वीकार कर रही हैं और यह बदलाव धीरे-धीरे समाज का हिस्सा बन रहा है।

पुरुषों से क्यों बन रही दूरी

शोध में यह भी सामने आया कि कई महिलाएँ पुरुषों से इसलिए दूरी बनाती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि पुरुष उनके साथ बराबरी का व्यवहार नहीं करते। कुछ महिलाओं ने कहा कि पुरुषों के साथ रिश्तों में उन्हें कई बार दबाव और असहजता महसूस होती है। वहीं, महिलाओं के साथ वे खुद को ज्यादा सुरक्षित और समझा हुआ पाती हैं। यह सोच सिर्फ व्यक्तिगत अनुभवों से नहीं, बल्कि समाज में सालों से चली आ रही व्यवस्था से भी जुड़ी है, जहाँ महिलाओं को कई बार कमतर आँका जाता रहा है।

इसके अलावा, कुछ महिलाओं का मानना है कि पुरुषों के साथ रिश्ते में भावनात्मक गहराई की कमी रहती है। वे कहती हैं कि महिलाएँ उनकी बातों को बेहतर समझती हैं और उनके साथ एक खास तरह का तालमेल बनता है। यह शोध इस बात की ओर इशारा करता है कि रिश्तों में अब सिर्फ परंपरा या समाज का दबाव नहीं, बल्कि व्यक्तिगत पसंद और खुशी भी मायने रखती है। यह बदलाव न सिर्फ महिलाओं की सोच को दर्शाता है, बल्कि समाज के लिए भी एक नई दिशा की ओर संकेत करता है।

समाज पर क्या होगा असर

इस शोध के बाद कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह बदलाव समाज को नई दिशा देगा? कुछ लोग इसे सकारात्मक मानते हैं, क्योंकि यह महिलाओं की आजादी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है। उनका कहना है कि अगर महिलाएँ अपनी पसंद के मुताबिक रिश्ते चुन रही हैं, तो यह उनकी खुशी और संतुष्टि के लिए अच्छा है। लेकिन कुछ लोग इसे परंपराओं के खिलाफ मानते हैं और इसे समाज के लिए खतरा समझते हैं। उनका मानना है कि इससे परिवार और सामाजिक ढाँचे पर असर पड़ सकता है।

हालाँकि, सच यह है कि यह शोध समाज में पहले से मौजूद बदलाव को ही सामने लाया है। यह हमें यह सोचने का मौका देता है कि रिश्तों की परिभाषा अब पहले जैसी सख्त नहीं रही। महिलाओं की यह नई सोच न सिर्फ उनकी अपनी जिंदगी को प्रभावित कर रही है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक नया रास्ता खोल रही है। यह शोध हमें यह समझने में मदद करता है कि प्यार और रिश्ते अब सिर्फ समाज के नियमों से नहीं, बल्कि दिल की आवाज से भी तय होते हैं।