मप्र : मुख्यमंत्री चौहान ने शहीद सुखदेव की जयंती पर किया नमन

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मप्र : मुख्यमंत्री चौहान ने शहीद सुखदेव की जयंती पर किया नमन


मप्र : मुख्यमंत्री चौहान ने शहीद सुखदेव की जयंती पर किया नमन


भोपाल, 15 मई (हि.स.) । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को शहीद सुखदेव जी की जयंती पर अपने निवास सभाकक्ष में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया।

मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा कि महान क्रांतिकारी, अमर हुतात्मा सुखदेव जी की जयंती पर उनके चरणों में नमन करता हूं। आपके प्रखर विचार और आदर्श जीवन सर्वदा भारत की युवा पीढ़ियों को राष्ट्र और समाज की सेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे।

https://twitter.com/CMMadhyaPradesh/status/1525701520280326144

उल्लेखनीय है कि शहीद सुखदेव जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 15 मई 1907 को पंजाब में लुधियाना के पंजाबी खत्री परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम रामलाल और मां का नाम रल्ली देवी था। सुखदेव के पैदा होने के तीन महीने पहले ही उनके पिता का निधन हो गया और तब ऐसे में सुखदेव का लालन पालन उनके ताऊ लाला चिंतराम ने किया, जो खुद एक आर्यसमाजी थे। सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी की सेंट्रल कमेटी के सदस्य थे । इस संगठन की स्थापना 8 सितंबर 1928 को ब्रिटिश शासन के विरोध में काम कर रहे क्रांतिकारियों ने की थी। ये क्रांतिकारी पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के थे। सुखदेव के पास पंजाब के संगठन प्रमुख की जिम्मेदारी थी ।

सुखदेव पार्टी में अपने साथियों के बीच कई नाम से जाने जाते थे. वे दयाल, स्वामी, और अन्य कई नामों से पुकारे जाते थेा। एतिहासिक संदर्भों से यह बात सामने आई है कि उन्होंने साल 1921 में नेशनल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उनकी दोस्ती भगत सिंह, भगवती चरण वोहरा और यशपाल से हुई। बाद में वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए । सुखदेव ने ही नौजवान भारत सभा का गठन किया था। इस नौजवान भारत सभा संगठन का मकसद पंजाब के युवा छात्रों को मजदूरों और किसानों के बीच काम करने के लिए प्रेरित करना था। सुखदेव और उनके साथियों ने कॉलेज के छात्रों के लिए लाहौर स्टूडेंट्स यूनियन और स्कूल के छात्रों के लिए बाल भारत सभा भी बनाई और ज्यादा से ज्यादा संख्या में छात्रों को देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करने का काम किया।

उल्लेखनीय है कि 1928 में साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय की लाठीचार्ज में मौत के बाद उत्तर भारत के युवाओं में भारी रोष छा गया था, इससे सुखदेव भी अछूते नहीं रहे। इस समय में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी ने उनकी मौत का बदला लेने का निर्णय किया और इसकी संपूर्ण कार्ययोजना बनाने का कार्य सुखदेव को सौंपा गया और उसके बाद उन्होंने भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और राजगुरू के साथ मिलकर इसे सफलतापूर्वक अंजाम तक भी पहुंचाया। इस मामले में वे 1929 में गिरफ्तार होने पर प्रमुख आरोपी बनाए गए। उन्हें ब्रिटिश सत्ता द्वारा भगत सिंह और राजगुरू के साथ 23 मार्च 1931 को फाँसी दे दी गई थी।

हिन्दुस्थान समाचार / उमेद/मयंक