रोज 12 घंटे की मेहनत रंग लाई: भोपाल की रमशा अंसारी बनीं DSP, मुस्लिम लड़कियों के लिए बनीं प्रेरणा!

मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (MPPSC) 2022 की परीक्षा में भोपाल की रमशा अंसारी ने शानदार सफलता हासिल की है। उन्होंने इस कठिन परीक्षा में 1575 में से 878 अंक प्राप्त करके टॉप-10 में अपना स्थान बनाया है और पूरे प्रदेश में छठा स्थान हासिल किया है। रमशा का चयन उप पुलिस अधीक्षक (DSP) के पद पर हुआ है। यह उनका तीसरा प्रयास था और लगभग सात साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें यह सफलता मिली है।
रमशा की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय, विशेषकर युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। उनकी सफलता दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प, लगन और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
सामान्य परिवार से ताल्लुक और शैक्षिक यात्रा
रमशा अंसारी एक सामान्य परिवार से संबंध रखती हैं। उनके पिता मोहम्मद अशरफ अंसारी भोपाल में कृषि विभाग से एक रिटायर्ड क्लर्क हैं, जबकि मां संजीदा अंसारी एक गृहिणी हैं। रमशा तीन बहनों में से एक हैं और उनका एक भाई भी है। परिवार में शुरू से ही शिक्षा का माहौल रहा है, उनकी बड़ी बहन चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) हैं।
रमशा की प्रारंभिक शिक्षा भोपाल के सेंट मैरी स्कूल से हुई। उन्होंने 12वीं में कॉमर्स का अध्ययन किया और फिर भोपाल के कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस से अर्थशास्त्र (इकोनॉमिक्स) में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने इग्नू से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इतिहास में एमए किया। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, रमशा ने UGC-NET-JRF परीक्षा भी उत्तीर्ण की, लेकिन शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में जाने के बजाय उन्होंने सिविल सेवा में आने का निर्णय लिया।
कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प का परिणाम
रमशा ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले 2018 में, स्नातक पूरा करने के बाद, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा की तैयारी शुरू की थी। लेकिन जब उसमें सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने अपना पूरा ध्यान MPPSC पर केंद्रित कर दिया। इस दौरान, उन्होंने दो बार प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन साक्षात्कार में कम अंक मिलने के कारण उनका चयन नहीं हो पाया। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करती रहीं।
रमशा ने बताया कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने रोजाना 11-12 घंटे अध्ययन किया। उनका मानना है कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए रोजाना 8-10 घंटे का अध्ययन आवश्यक है, लेकिन यह कितने वर्षों तक करना होगा, यह उम्मीदवार की व्यक्तिगत क्षमता और उसे मिले मार्गदर्शन पर निर्भर करता है। उनके अनुसार, अगर 2-3 वर्ष पूरी एकाग्रता के साथ तैयारी की जाए, तो यह समय पर्याप्त है। लेकिन अगर इतने समय में भी सफलता न मिले, तो पीछे हटने के बजाय दोगुनी मेहनत से तैयारी जारी रखनी चाहिए।
परिवार और समर्थन प्रणाली का योगदान
रमशा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों, परिवार और यहां तक कि अपने छात्रों को भी दिया है। अपनी तैयारी के साथ-साथ, रमशा भोपाल में एक कोचिंग संस्थान में छात्रों को इस परीक्षा की तैयारी करवाती थीं। उन्होंने कहा कि सभी लोगों ने मिलकर उनके आसपास एक अच्छा माहौल बनाया और उनका आत्मविश्वास बनाए रखा, जिससे वे कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य से काम लेकर अपनी तैयारी जारी रख सकीं।
रमशा के पिता मोहम्मद अंसारी ने अपनी बेटी की सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें हमेशा से अपनी बेटी की क्षमताओं पर विश्वास था। उन्होंने हमेशा माना कि उनकी बेटी की मेहनत और जुनून एक दिन उसे महान सफलता दिलाएगा और वह अपना नाम रोशन करेगी।
मुस्लिम युवाओं और लड़कियों के लिए संदेश
रमशा ने मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से लड़कियों को संदेश देते हुए कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा में निवेश करना सबसे अधिक आवश्यक है। उनके अनुसार, शिक्षा ही वह हथियार है, जिसके बल पर हम अपने परिवार, समाज, देश और समुदाय का कल्याण कर सकते हैं। अपने साथ-साथ दूसरों का जीवन भी बेहतर बना सकते हैं और देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकते हैं। इसलिए, उन्होंने मुस्लिम युवाओं और लड़कियों को सिविल सेवा में आने के लिए प्रोत्साहित किया।
रमशा की सफलता ने मुस्लिम समुदाय की लाखों लड़कियों के लिए सपने देखने और उन्हें पूरा करने के द्वार खोल दिए हैं। वह अब मध्य प्रदेश के कानून और व्यवस्था को संभालने में अपना योगदान देंगी और अपराधियों की नकेल कसेंगी।