125 साल पुराना चर्च अब बना हिन्दू मंदिर, 200 परिवारों ने अपनाया सनातन धर्म!

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में एक ऐसा गांव है, जहाँ की हवा में बदलाव की खुशबू फैल रही है। यहाँ के लोग, जो कई साल पहले ईसाई धर्म की राह पर चल पड़े थे, अब अपने पुराने विश्वास की ओर लौट रहे हैं। करीब 200 परिवारों ने हिंदू धर्म में वापसी का फैसला किया है, और इसके साथ ही एक 125 साल पुराना चर्च अब मंदिर में बदलने जा रहा है। यह खबर सुनकर हर कोई हैरान है, क्योंकि यह सिर्फ धर्म का बदलाव नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत और पुरानी जड़ों से जुड़ने की कहानी है। बांसवाड़ा का यह गांव अब इतिहास के पन्नों में अपनी खास जगह बना रहा है।
इस गांव का नाम है सोडलादूधा, जो बांसवाड़ा जिले की गांगड़तलाई पंचायत में बसा है। कई साल पहले यहाँ के लोगों ने ईसाई मिशनरियों के प्रभाव में आकर अपने पुराने धर्म को छोड़ दिया था। उस वक्त यहाँ एक चर्च बनाया गया, जो पिछले 125 साल से खड़ा था। इस चर्च में हर रविवार को प्रार्थना होती थी, और यह गांव के लोगों की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बन गया था। लेकिन समय के साथ कुछ ऐसा हुआ कि लोगों के मन में फिर से अपनी सनातन संस्कृति की यादें ताजा हो उठीं। यह बदलाव सिर्फ एक रात में नहीं हुआ, बल्कि यह एक लंबी सोच और भावनाओं का नतीजा है।
घर वापसी का फैसला
इन 200 परिवारों ने हिंदू धर्म में लौटने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया। इसकी शुरुआत तब हुई, जब गांव के कुछ लोग प्रयागराज में हुए महाकुंभ में गए। वहाँ सनातन धर्म की शक्ति और सुंदरता को देखकर उनके मन में एक नई चेतना जागी। इसके बाद गांव में बातचीत शुरू हुई, और धीरे-धीरे सभी परिवारों ने एकजुट होकर यह कदम उठाने का मन बनाया। इस घर वापसी में गांव के पुराने पादरी गौतम गरासिया का भी बड़ा हाथ रहा। गौतम, जो 30 साल पहले ईसाई बने थे, अब अपने परिवार और गांव वालों के साथ हिंदू धर्म की ओर लौट आए हैं। यह फैसला उनके लिए सिर्फ धर्म का नहीं, बल्कि अपनी पहचान को फिर से पाने का भी था।
चर्च से मंदिर का बदलाव
125 साल पुराने इस चर्च को अब भैरव जी का मंदिर बनाया जा रहा है। इस बदलाव की प्रक्रिया बड़े उत्साह के साथ चल रही है। चर्च की दीवारों को भगवा रंग से रंगा गया है, और वहाँ पहले जो ईसाई चिह्न थे, उनकी जगह अब हिंदू धर्म के प्रतीक नजर आ रहे हैं। गांव के लोग मिलकर इसे सजा रहे हैं, और 9 मार्च 2025 को इस मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। इस दिन भैरव जी की मूर्ति को तलवारा से लाकर यहाँ स्थापित किया जाएगा। उद्घाटन के लिए एक बड़ी शोभायात्रा की तैयारी है, जिसमें "जय श्री राम" के नारे गूंजेंगे। यह पल गांव वालों के लिए बहुत खास है, क्योंकि यह उनके विश्वास और एकता का प्रतीक बनने जा रहा है।
सनातन की ओर बढ़ते कदम
गांव वालों का कहना है कि यह बदलाव उनके मन की शांति के लिए जरूरी था। कई लोगों ने बताया कि ईसाई धर्म अपनाने के बाद भी उनकी जिंदगी में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। गौतम गरासिया ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से वह अपने पुराने धर्म में लौटने की सोच रहे थे, और अब उन्हें इस फैसले से खुशी मिली है। गांव के करीब 80 परिवार पहले ही हिंदू धर्म में लौट चुके हैं, और बाकी भी जल्द ऐसा करने वाले हैं। यह घर वापसी सिर्फ एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रही है। लोग मानते हैं कि यह मंदिर बनने से और भी लोग सनातन की ओर आकर्षित होंगे।