भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाबा चमलियाल देव स्थान उमड़ा भक्तों का सैलाब , पाकिस्तान को इस बार नहीं दिया गया कोई न्यौता

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

  1. Home
  2. National

भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाबा चमलियाल देव स्थान उमड़ा भक्तों का सैलाब , पाकिस्तान को इस बार नहीं दिया गया कोई न्यौता


भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाबा चमलियाल देव स्थान उमड़ा भक्तों का सैलाब , पाकिस्तान को इस बार नहीं दिया गया कोई न्यौता


सांबा, 23 जून (हि.स.)। भारत पाक अंतराष्ट्रीय सीमा पर जिला सांबा के रामगढ़ सेक्टर में जीरोलाइन पर स्थित बाबा चमलियाल देव स्थान पर वार्षिक मेले में हजारों की तादाद में भक्तों ने पहुंचकर अमन और शांति की दुआ की। बाबा की मजार पर भक्तों ने माथा टेकते हुए सुख समृद्धि की कामना की। जिला विकास उपायुक्त अनुराधा गुप्ता और पुलिस प्रमुख अभिषेक गुप्ता ने प्रबंधकों के साथ मिलकर मजार पर चादरपोशी की। ढोल नगाड़ों के साथ आयोजित इस मेले में काफी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। चादरपोशी के बाद अधिकारियों ने भक्तों की सुविधा के लिए लगाए गए लंगर सहित अन्य सुविधाओं का जायजा लिया। जिला विकास उपायुक्त ने कहा कि दो वर्ष के बाद यहां मेले का आयोजन किया जा रहा है जिसमे काफी संख्या में भक्त भी पहुंचे हैं। मेले में भी लोग पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने यही प्रार्थना बाबा से की है कि सांबा के लोगों पर उनका आशीर्वाद बना रहे। जम्मू कश्मीर प्रदेश, देश में शांति कायम हो यही कामना की गई है। उन्होंने पाकिस्तान के साथ शक्कर और शरबत के आदान प्रदान पर कहा कि फिलहाल उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

वहीं देव स्थान के पुजारी ने बताया कि दो सालों के बाद यह मेला आयोजित किया गया है। उन्होने इतिहास बताते हुए कहा कि बाबा जी का नाम दिलीप सिंह मंहास था। यह संत महात्मा देसी हकीम भी थे। यहां की मिट्टी को शक्कर कहा जाता है जबकि पानी को शरबत। उन्होंने कहा कि सामने पाक में गांव सैदावली पड़ता है और वहा तालाब भी है जबकि वहां चर्म रोगियों को बाबा जी मिट्टी यानि शक्कर देते थे और लोग ठीक हो जाते थे। उस समय वहां के कुछ असामाजिक तत्वों ने उनका सिर कलम कर दिया था जिसके बाद उनका धड़ यहां आ गया था जबकि गर्दन पाकिस्तान में रही। जिसके बाद से यहां मान्यता है और मेला लगाया जाता है। दोनों देशों में इस देव स्थान की मान्यता है। उन्होंने कहा कि पहले छोटे छोटे मेले होते थे जबकि इसके बाद से बड़े स्तर पर मेलों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले पाक रैंजर्स भी यहां शिरकत करते थे जबकि 2017 में पाकिस्तान ने हमारे सैनिकों, अधिकारियों को शहीद किया था जिसके बाद से आदान प्रदान भी पाकिस्तान से बंद कर दिया गया है। इस बार भी उन्हें कोई न्यौता नहीं दिया गया। उन्होंने भक्तों से आह्वान किया कि वे बाबा की मजार पर आकर आशीर्वाद लिया करें।

हिन्दुस्थान समाचार/अमनदीप/बलवान