इतिहास के पन्नों में 25 जूनः कोई नहीं भूल सकता इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के जख्म

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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इतिहास के पन्नों में 25 जूनः कोई नहीं भूल सकता इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के जख्म


इतिहास के पन्नों में 25 जूनः कोई नहीं भूल सकता इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के जख्म


देश-दुनिया के इतिहास में 25 जून की तारीख भारत के लिहाज से एक महत्वपूर्ण घटना का गवाह रही है। आज ही के दिन 1975 में देश में इमरजेंसी (आपातकाल) लगाने की घोषणा की गई। इमरजेंसी ने भारत में ऐतिहासिक घटनाओं को जन्म दिया। 26 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक की 21 महीने की अवधि में भारत के लोगों को इमरजेंसी में अत्याचारों का सामना करना पड़ा । तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन देश में इमरजेंसी की घोषणा की थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास का यह सबसे विवादास्पद काल है। इमरजेंसी में चुनाव ही नहीं, नागरिक अधिकार तक स्थगित कर दिए गए थे ।

इंदिरा गांधी के इस फैसले के कारण देश को इमरजेंसी के दंश से गुजरना पड़ा। 26 जून की सुबह समूचे देश ने आकाशवाणी पर इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश सुना कि भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति ने इमरजेंसी की घोषणा की है। लेकिन इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। इससे पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में 25 जून को हुई रैली की खबर पूरे देश में न फैल सके इसके लिए दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली रात में ही काट दी गई थी। रात को ही इंदिरा गांधी के विशेष सहायक आरके धवन के कमरे में बैठकर संजय गांधी और ओम मेहता ने उन लोगों की सूची तैयार की, जिन्हें गिरफ्तार किया जाना था।

दरअसल इमरजेंसी की मूल जड़ में 1971 का लोकसभा चुना था। इस चुनाव में इंदिरा गांधी ने अपने प्रतिद्वंद्वी राजनारायण को पराजित किया था। चार साल बाद राजनारायण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी। 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया और राजनारायण को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया था।

राजनारायण की दलील थी कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया, तय सीमा से अधिक पैसा खर्च किया और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया। अदालत ने इन आरोपों को सही ठहराया। इस फैसले के बावजूद इंदिरा गांधी ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। तब कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा था कि इंदिरा गांधी का नेतृत्व पार्टी के लिए अपरिहार्य है। इसी दिन गुजरात में चिमनभाई पटेल के विरुद्ध विपक्ष को भारी विजय मिली। इस दोहरी चोट से इंदिरा गांधी बौखला गईं।

इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय को मानने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की और 25/ 26 जून की आधीरात इमरजेंसी लागू करने की घोषणा कर दी गई। 26 जून को आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने यह भी कहा था- 'जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी।' इस दौरान जनता के सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया। सरकार विरोधी भाषणों और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। इमरजेंसी के दौरान सत्ताधारी निरंकुश कांग्रेस ने आम आदमी की आवाज को कुचलने की निरंकुश कोशिश की। इसका आधार वो प्रावधान था जो धारा-352 के तहत सरकार को असीमित अधिकार देती थी।

मीसा और डीआईआर के तहत देश में एक लाख से ज्यादा लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन के नायक जयप्रकाश नारायण की किडनी कैद के दौरान खराब हो गई थी । उस काले दौर में जेल यातनाओं की दहला देने वाली कहानियां भरी पड़ी हैं। देश के जितने भी बड़े नेता थे, सभी सलाखों के पीछे डाल दिए गए। जेलें राजनीतिक पाठशाला बन गईं। बड़े नेताओं के साथ जेल में युवा नेताओं को बहुत कुछ सीखने-समझने का मौका मिला। एक तरफ नेताओं की नई पौध राजनीति सीख रही थी। दूसरी तरफ देश को इंदिरा के बेटे संजय गांधी अपने दोस्त बंसीलाल, विद्याचरण शुक्ल और ओम मेहता की तिकड़ी के जरिए चला रहे थे। संजय गांधी ने वीसी शुक्ला को नया सूचना प्रसारण मंत्री बनवाया जिन्होंने मीडिया पर सरकार की इजाजत के बिना कुछ भी लिखने-बोलने पर पाबंदी लगा दी, जिसने भी इनकार किया उसे जेल में डाल दिया गया।।

एक तरफ देशभर में सरकार के खिलाफ बोलने वालों पर जुल्म हो रहा था तो दूसरी तरफ संजय गांधी ने देश को आगे बढ़ाने के नाम पर पांच सूत्री कार्यक्रम परिवार नियोजन, दहेज प्रथा का खात्मा, वयस्क शिक्षा, पेड़ लगाना, जाति प्रथा उन्मूलन पर काम करना शुरू कर दिया था। सुंदरीकरण के नाम पर संजय गांधी ने एक ही दिन में दिल्ली के तुर्कमान गेट की झुग्गियों को साफ करवा डाला। पांच सूत्री कार्यक्रम में सबसे ज्यादा जोर परिवार नियोजन पर रहा। लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई गई। 19 महीने के दौरान देशभर में करीब 83 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करा दी गई। कहा तो यह भी जाता है कि पुलिस बल गांव के गांव घेर लेते थे और पुरुषों को पकड़कर उनकी नसबंदी करा दी जाती थी।

एक बार इंदिरा गांधी ने कहा था कि इमरजेंसी लगने पर विरोध में कुत्ते भी नहीं भौंके थे, लेकिन 19 महीने में उन्हें गलती और लोगों के गुस्से का एहसास हुआ। 18 जनवरी, 1977 को इंदिरा गांधी ने अचानक ही मार्च में लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान कर दिया। 16 मार्च को हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी और संजय गांधी दोनों ही हार गए। 21 मार्च को इमरजेंसी तो खत्म हो गई लेकिन वह अपने पीछे लोकतंत्र का सबसे बड़ा सबक छोड़ गई।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

529ः मुगल शासक बाबर बंगाल पर विजय प्राप्त कर आगरा लौटा।

1788ः वर्जीनिया, अमेरिका के संविधान को अपनाने वाला 10वां राज्य बना।

1868ः अमेरिका के राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने सरकारी कर्मचारियों के लिए दिन में आठ घंटे काम करने का कानून पारित किया।

1913ः बाबा सोहन सिंह की अध्यक्षता में गदर पार्टी का गठन।

1932ः भारतीय क्रिकेट टीम ने ब्रिटेन के लॉर्ड्स मैदान पर अपना पहला टेस्ट मैच खेला।

1940ः जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने पेरिस में नेपोलियन की कब्र और एफिल टाॅवर देखा।

1941ः फिनलैंड ने सोवियत संघ पर हमले की घोषणा की।

1947ः एन फ्रैंक की डायरी ऑफ ए यंग गर्ल का प्रकाशन। इसकी 3 करोड़ प्रतियां बिकी और 67 भाषाओं में अनुवादित हुई।

1950ः कोरिया में गृहयुद्ध शुरू। आजादी की लड़ाई लड़ रहे उत्तरी और दक्षिण कोरिया के बीच शुरू हुए इस गृह युद्ध ने बाद में अंतरराष्ट्रीय शीतयुद्ध का रूप लिया।

1951ः अमेरिकी टेलीविजन एवं रेडियो नेटवर्क सीबीएस ने न्यूयार्क से चार शहरों में पहले रंगीन टीवी प्रोग्राम का प्रसारण किया।

1960ः मेडागास्कर स्वतंत्र हुआ।

1961ः इराक ने कहा कुवैत उसका हिस्सा।

1975ः इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इमरजेंसी लगाने की घोषणा की ।

1983ः भारत ने वेस्टइंडीज को 43 रनों से हरा कर पहली बार क्रिकेट विश्वकप का खिताब अपने नाम किया।

1993ः किम कैंपबेल कनाडा की 19वीं प्रधानमंत्री बनीं।

1994ः जापान के प्रधानमंत्री सुतोमु हाता का इस्तीफा।

1998ः अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन 9 दिन की यात्रा पर चीन पहुंचे।

1999ः संयुक्त राज्य अमेरीका ने युगोस्लावियाई राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविच की गिरफ्तारी की सूचना देने पर 50 लाख डालर के इनाम की घोषणा की।

2002ः अफगानिस्तान में नए मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण।

2004ः रूस का भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने का निर्णय।

2005ः अहमदी नेजाद ईरान के राष्ट्रपति बने।

2014 लुईस सुआरेज पर फीफा में विश्वकप के दौरान विपक्षी टीम के खिलाड़ी को दांत से काटने का आरोप लगा।

2017ः श्रीकांत ने ऑस्ट्रेलिया ओपन सुपर सीरीज का खिताब जीता।

जन्म

1900ः भारत के अंतिम वाइसराय लॉर्ड माउंटबेटन।

1903ः प्रसिद्ध साहित्यकार चन्द्रशेखर पाण्डेय।

1908ः भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी।

1924ः फिल्म संगीत निर्देशक मदन मोहन।

1931ः पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह।

1961ः हास्य अभिनेता सतीश शाह।

1975ः परमवीर चक्र से सम्मानित मनोज कुमार पाण्डेय।

निधन

1950ः राष्ट्रवादी नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी सहजानंद सरस्वती।

2003ः सिंगापुर के शीर्ष वकील और भारतीय समुदाय के प्रमुख सदस्य आर. पाल कृष्णन।

2009ः म्यूजिक और डांस की नई परिभाषा लिखने वाले माइकल जैक्सन।

दिवस

इमरजेंसी की बरसी ‘काला दिवस’

हिन्दुस्थान समाचार/ मुकुंद