रचेगा इतिहास, इसरो करेगा निजी विक्रम-सबऑर्बिटल रॉकेट का प्रक्षेपण

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रचेगा इतिहास, इसरो करेगा निजी विक्रम-सबऑर्बिटल रॉकेट का प्रक्षेपण

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नई दिल्ली | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शुक्रवार 18 नवंबर को पहला निजी रॉकेट प्रक्षेपित कर इतिहास रचने जा रहा है। इस वीकेएस रॉकेट को गैर-सरकारी संस्थान (स्टार्टअप), स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (एसएपीएल) द्वारा विकसित किया गया है। यह लगभग 550 किलोग्राम वजन वाला एक सिंगल स्टेज स्पिन स्टेबलाइज्ड सॉलिड प्रोपेलेंट रॉकेट है। रॉकेट अधिकतम एक सौ किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचकर समुद्र में गिरेगा और प्रक्षेपण की कुल अवधि केवल 300 सेकेंड होगी। स्काईरूट पहला स्टार्ट-अप है, जिसने अपने रॉकेट को प्रक्षेपित करने के लिए इसरो के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। देश का पहला निजी रॉकेट प्रक्षेपित होने के साथ-साथ यह स्काईरूट एयरोस्पेस का पहला अभियान भी होगा जिसका नाम 'प्रारंभ' है। यह अंतरिक्ष में कुल मिलाकर तीन पेलोड लेकर जाएगा, जिसमें एक पेलोड विदेशी है।

इसरो द्वारा भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष की यात्रा में पहला निजी रॉकेट प्रक्षेपित किया जाएगा जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा में मील का एक नया पत्थर स्थापित करेगा। यह निजी रॉकेट इसी शुक्रवार को प्रक्षेपित किया जाना है।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में 18 नवंबर को सुबह 11 बजे ऐतिहासिक पहले निजी विक्रम-सबऑर्बिटल (वीकेएस) रॉकेट का प्रक्षेपण क्या जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो वर्ष पहले निजी भागीदारी के लिए भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को अनलॉक किया था।

अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष सुधारों ने स्टार्टअप की अभिनव संभावनाएं उत्पन्न की हैं। तीन-चार वर्ष पहले हमारे पास कुछ ही अंतरिक्ष स्टार्टअप थे लेकिन बहुत ही कम समय में आज हमारे पास अंतरिक्ष अवशेष प्रबंधन, नैनो उपग्रह, प्रक्षेपण यान, ग्राउंड सिस्टम, अनुसंधान जैसे नवीनतम क्षेत्रों में काम करने वाले 102 स्टार्टअप मौजूद हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश को भारत की विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार क्षमताओं के लिए सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त करने में सक्षम बनाया है और आज हमारे स्टार्टअप की बहुत ज्यादा मांग है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत को एक प्रेरणादायक स्थल के रूप में देख रही है क्योंकि यह नवोदित देशों को क्षमता निर्माण, उपग्रह और नैनो उपग्रह निर्माण में सहायता प्रदान कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने आम लोगों को 'ईज ऑफ लिविंग' प्रदान करने के लिए, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग रेलवे, राजमार्ग, कृषि, जल मानचित्रण, स्मार्ट सिटी, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में करने का उल्लेख किया। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने परमाणु ऊर्जा का अनुप्रयोग ठीक उसी प्रकार से परमाणु कृषि और फसल सुधार, पौधों के लिए कृषि प्रौद्योगिकियां, खाद्य संरक्षण के लिए मृदा स्वास्थ्य और विकिरण प्रौद्योगिकियां में करने की बात की, जो अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा को उनकी पारंपरिक भूमिकाओं जैसे उपग्रह प्रक्षेपण और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन से आगे ले जाकर उनकी विकासात्मक अधिदेश के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।