भारत दशकों से सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है : अमित शाह

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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भारत दशकों से सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है : अमित शाह

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नई दिल्ली | नो मनी फॉर टेरर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान को जमकर खरी खोटी सुनाई। गृह मंत्री ने कहा कि भारत कई दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है, जो सीमा-पार से प्रायोजित है। उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को, निरंतर और समन्वित तरीके से की गई अत्यंत गंभीर टेररिस्ट हिंसा की घटनाओं से जूझना पड़ा है। अमित शाह ने पाकिस्तान और चीन का बिना नाम लेते हुए कहा कि दुर्भाग्य से, कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं। हमने कई बार देखा है कि कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं। उन्होंने कहा कि किसी आतंकवादी को संरक्षण देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि, ऐसे तžव अपने इरादों में कभी सफल न हो सकें।

अमित शाह ने आगे कहा कि अगस्त, 2021 के बाद, दक्षिण एशिया के क्षेत्र में स्थिति में बहुत परिवर्तन आया है। सत्ता परिवर्तन, तथा अल कायदा और आईएसआईएस का बढ़ता प्रभाव, रीजनल सिक्यूरिटी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर कर सामने आए हैं। इन नए समीकरणों ने टेरर फाइनेंसिंग की समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है। तीन दशक पूर्व ऐसे ही एक रेजीम-चेंज के गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को सहने पड़े थे।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि नाइन-इलेवन (9/11) जैसे भयंकर हमले को हम सभी ने देखा है। इस बैकग्राउंड में, पिछले साल दक्षिण एशियाई क्षेत्र में हुआ परिवर्तन, हम सभी के लिए चिंता का विषय है। अल कायदा के साथ-साथ दक्षिण एशिया में, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुट बेखौफ होकर आज भी आतंक फैलाने के फिराक में है।

गृह मंत्री ने आगे कहा कि भारत टेररिज्म के सभी रूपों, और प्रकारों की निंदा करता है। हमारा यह स्पष्ट मानना है कि निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को उचित ठहराने का कोई भी कारण स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इसीलिए, मैं दुनिया भर के, टेररिस्ट हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। हमें इस बुराई से, कभी समझौता नहीं करना चाहिए।

अमित शाह ने ये भी कहा कि हमें कभी भी आतंकवादियों के पनाहगाहों, या उनके संसाधनों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। ऐसे तžवों को स्पोंसर करने वाले, इनको सपोर्ट करने वाले तžवों के डबल-स्पीक को भी हमें उजागर करना होगा। उन्होंने कहा कि इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह सम्मेलन, सहभागी देश और संगठन, इस क्षेत्र की टेररिस्ट चुनौतियों के बारे में सेलेक्टिव या आत्मसंतुष्ट ²ष्टिकोण न रखे।