अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन

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अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन

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बेंगलुरु/मुरादाबाद। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन बेंगलुरु कर्नाटक में 11-13 नवम्बर 2022 को संपन्न हुआ। अधिवेशन का शुभारम्भ कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई एवम केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल जोशी व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर जे पी सिंघल द्वारा माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। 

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राष्ट्रीय महासंघ द्वारा तीन शिक्षकों को "शिक्षा भूषण" पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में प्रोफेसर एम के, श्रीधरन ,प्रोफेसर चांद किरण सलूजा एव सुश्री भारती ठाकुर को शाल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह व रु 1 लाख की धनराशि प्रदान कर अभिनंदन किया गया।

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राष्ट्रीय महामंत्री शिवानंद सिन्दनकेरा ने शिक्षकों की 21 मांगों को अधिवेशन में प्रतिनिधियों के समक्ष रखा जिनका निस्तारण कराया जाएगा। 

ये हैं मांगें

  • 1जनवरी 2004 से पूर्व की  पेंशन योजना सभी शिक्षकों के लिए बहाल की जाए। 
  • प्राथिमक शिक्षकों को विधान परिषदों में मत  देने का अधिकार दिया जाए।
  • संपूर्ण देश में सभी स्तरों के रिक्त पदों पर स्थाई और नियमित नियुक्ति की जाए।
  • सातवें वेतन आयोग को की सिफारिशों को संपूर्ण देश में एक समान रूप से लागू हो एवं विसंगितयों को दूर किया जाए ।
  • सम्पूर्ण देश के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति  एक समान 65 वर्ष हो।
  • रिक्त पदों पर स्थाई और नियमित नियुक्ति सुनिश्चित की जाए तदर्थ बाद बंद किया जाए।
  • स्कूल एवं उच्च शिक्षा के समस्त शिक्षकों को समुचित चिकित्सा सुविधा के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य कार्ड जारी कर प्रभावी क्रियान्यवन किया जाए ।
  • शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यो से मुक्त किया जाए।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को संपूर्ण देश में एक समान रूप से लागू हो I 
  • केंद्र सरकार अपने बजट का 10 प्रतिशत एवं राज्य सरकारें बजट का 30 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय करें ताकि पर्याप्त संख्या में शिक्षक शिक्षक एवं अन्य आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हों।
  • कक्षावार एव विषयवार  छात्र शिक्षक अनुपात हो। 
  • उच्च शिक्षा में यूजीसी के मानदंडों को लागू किया जाए समयबद्ध करियर एडवांसमेंट योजना का लाभ दिया जाए ।
  • सेवारत शिक्षकों को पीएचडी कोर्स वर्क से मुक्त किया जाए। 
  • शिक्षा सम्बन्धी सभी निर्णयों में शिक्षकों की सहभागिता हो एवं राजनीतिक व प्रशासनिक हस्तक्षेप बन्द हो। 
  • अनुदानित शिक्षण संस्थानों के भुगतान की कोषागार व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। 
  • यूजीसी रेगुलेशनएक्ट 2018  सम्पूर्ण देश मे एकसमान से लागू हो एवं रेगुलेशन की विसंगतियों को दूर किया जाए
  • पुस्तकालयाध्यक्ष शारिरिक शिक्षक और अन्य सेवाओं  की समकक्षता स्थापित हो।
  • निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के प्रावधानों की सुसंगत एवं व्यवहारिक बनाया जाए।

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अधिवेशन में देश के सभी राज्यों से,कोने कोने से लगभग 4000 से अधिक पदाधिकारियों ने भाग लिया। उत्तर प्रदेश प्रभारी महेंद्र कुमार, प्रदेश अध्यक्ष अजीत सिंह, प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह, प्रदेश संगठन मंत्री शिव शंकर सिंह, प्रदेश संयुक्त महा मंत्री संतोष मौर्य, मण्डल मुरादाबाद से मण्डल/ जिला अध्यक्ष शान्ति भूषण वर्मा, जिला महामंत्री अकरम हुसैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजयपाल सिंह ,जनपद बिजनौर से दिग्विजय सिंह जिलाध्यक्ष व पंकज विश्नोई महामन्त्री, जनपद अमरोहा से महामन्त्री विकास बंगा व कार्यकारी अध्यक्ष योगेंद्र सिंह, जनपद रामपुर से रवेंद्र गंगवार व महामन्त्री विपेंद्र कुमार आदि पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।