उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र मामले पर सुनवाई से पहले उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया गया है। ठाकरे गुट ने कहा है कि शिंदे ग्रुप ने ये झूठा नैरेटिव गढ़ा है कि एनसीपी और कांग्रेस के शिवसेना के साथ गठबंधन से उनके वोटर नाराज है। जबकि सच ये है कि ये सरकार में ढाई साल मंत्री बने रहे और पहले कभी इस पर आपत्ति नहीं की।

उद्धव ठाकरे गुट ने कहा है कि भाजपा ने कभी शिवसेना को बराबर का दर्जा नहीं दिया। जबकि इस सरकार में शिवसेना नेता मुख्यमंत्री बने। जिस दिन ये सरकार सत्ता में आई, शिंदे ग्रुप के विधायकों ने हमेशा इसका फायदा उठाया। पहले तो कभी उन्हें वोटरों में नाराजगी की बात नहीं कही। अगर ऐसा था तो कैबिनेट में शामिल ही नहीं होते ।

उद्धव ठाकरे गुट ने कहा है कि जब तक शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं हो जाता, चुनाव आयोग को तब तक अपनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि अभी शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता करवाई का मामला लंबित है ऐसे में निर्वाचन आयोग ये तय नहीं कर सकता है कि असली शिवसेना कौन है। उल्लेखनीय है कि निर्वाचन आयोग में 8 अगस्त तक दोनों पक्षों से दस्तावेज तलब किया है।

ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा की 3 और 4 जुलाई को हुई कार्यवाही में नए स्पीकर के चुनाव और शिंदे सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव की कार्यवाही को अवैध बताया गया है। ठाकरे गुट ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से सांसदों को हटाने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका सांसद विनायक राउत और राजन विचारे ने दाखिल की है।

याचिका में राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना संसदीय दल के नेता और भावना गवली को मुख्य सचेतक के पद पर की गई नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि लोकसभा स्पीकर का फैसला मनमाना और शिवसेना के संसद में अधिकृत प्रतिनिधियों के फैसलों के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि शिवसेना ने लोकसभा स्पीकर को विनायक राउत को लोकसभा में पार्टी का नेता और राजन विचारे को चीफ व्हिप घोषित करने की सूचना दी थी। लेकिन इसके बावजूद स्पीकर शिंदे गुट के उम्मीदवार को मंजूरी दी। यहां तक कि लोकसभा स्पीकर ने शिवसेना से कोई स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा।