मासूम की बेरहम पिटाई: गुस्से में मां ने तोड़ी मानवता की सारी हदें

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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मासूम की बेरहम पिटाई: गुस्से में मां ने तोड़ी मानवता की सारी हदें

Child

Photo Credit: Child beaten by mother


नारायण नगर, घाटकोपर में रहने वाली गुड़िया बानू खान और उनके पति मैसाद खान के बीच एक मामूली विवाद ने भयानक रूप ले लिया। गुड़िया ने पति से बाहर घूमने की फरमाइश की, जिसे पति ने नकार दिया। इस नकारात्मक जवाब से क्रोधित होकर गुड़िया ने अपना गुस्सा मासूम बच्चे पर उतारा।

क्रूरता की हदें

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,  गुड़िया ने प्लास्टिक के पाइप से अपने निर्दोष बेटे की बेरहमी से पिटाई की। बच्चे के कोमल शरीर पर चोटों के गहरे निशान पड़ गए। यह दृश्य इतना भयावह था कि देखने वालों की रूह कांप गई। मासूम की चीख-पुकार से पूरा माहौल दहल गया। गंभीर चोटों के कारण बच्चे को तत्काल राजवाड़ी अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे के शरीर पर कई गंभीर चोटें हैं और समय पर इलाज मिलना अत्यंत आवश्यक था। डॉक्टरों की टीम ने तुरंत बच्चे का उपचार शुरू किया।

पिता मैसाद खान ने तुरंत घाटकोपर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने गुड़िया बानू खान के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है। हालांकि, घटना के बाद से आरोपी मां फरार है। पुलिस टीमें लगातार उसकी तलाश में जुटी हैं और जल्द गिरफ्तारी का दावा कर रही हैं।

सामाजिक चिंतन

यह घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। क्रोध और आवेश में किए गए कार्य कितने विनाशकारी हो सकते हैं, यह इस घटना से स्पष्ट है। परिवार में छोटे-छोटे विवादों का असर बच्चों के कोमल मन पर गहरा प्रभाव डालता है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि गुस्से पर नियंत्रण रखना कितना महत्वपूर्ण है।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव

इस तरह की घटनाएं बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव डालती हैं। बचपन में मिली यह आघात उनके भविष्य को प्रभावित कर सकती है। माता-पिता को अपने व्यवहार में संयम बरतना चाहिए और बच्चों के समक्ष सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।

समाज की जिम्मेदारी

समाज के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता फैलाएं। पारिवारिक विवादों को सुलझाने के लिए परामर्श और मध्यस्थता की व्यवस्था होनी चाहिए। क्रोध प्रबंधन के कार्यक्रम और परिवार परामर्श केंद्रों की स्थापना समय की मांग है।