बाबा रामदेव के ‘शरबत जिहाद’ बयान पर विवाद, देवबंद से उठी पतंजलि बहिष्कार की मांग

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बाबा रामदेव के ‘शरबत जिहाद’ बयान पर विवाद, देवबंद से उठी पतंजलि बहिष्कार की मांग

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Photo Credit: Social Media


योग गुरु और पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने एक मशहूर शरबत ब्रांड को ‘शरबत जिहाद’ का नाम देकर विवाद खड़ा कर दिया है। इस बयान ने न केवल सोशल मीडिया पर हलचल मचाई, बल्कि धार्मिक और सामाजिक हलकों में भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। विशेष रूप से, देवबंद के उलेमा ने इस बयान को निंदनीय बताते हुए पतंजलि उत्पादों के बहिष्कार की मांग की है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझें।

‘शरबत जिहाद’ बयान ने क्यों मचाया बवाल?

बाबा रामदेव ने हाल ही में एक वीडियो में पतंजलि के शरबत को बढ़ावा देते हुए एक अन्य शरबत कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि इस कंपनी की कमाई का उपयोग मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में होता है, और इसे ‘शरबत जिहाद’ का नाम दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने अन्य सॉफ्ट ड्रिंक्स को ‘टॉयलेट क्लीनर’ तक करार दे दिया। इस बयान ने कई लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई, क्योंकि इसे धार्मिक आधार पर विभाजनकारी माना गया। सोशल मीडिया पर जहां कुछ लोग उनके समर्थन में उतरे, वहीं अधिकांश ने इसे असंवेदनशील और अनुचित बताया।

देवबंद उलेमा की कड़ी प्रतिक्रिया

देवबंद के प्रमुख उलेमा और जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने रामदेव के बयान पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि रामदेव ने एक प्रसिद्ध शरबत ब्रांड को बदनाम करने के लिए धार्मिक भावनाओं का सहारा लिया, जो निंदनीय है। मौलाना ने रामदेव के इस दावे की आलोचना की कि अन्य शरबत की कमाई से मस्जिद और मदरसे बनाए जाते हैं। उन्होंने इसे ‘लव जिहाद’ और ‘वोट जिहाद’ जैसे शब्दों के साथ जोड़ने को गलत ठहराया। मौलाना का कहना है कि इस तरह के बयान समाज में तनाव पैदा करते हैं और आपसी भाईचारे को कमजोर करते हैं।

पतंजलि के बहिष्कार की अपील

मौलाना कारी इसहाक ने अपनी निराशा जाहिर करते हुए कहा कि वे रामदेव को एक बुद्धिजीवी समझते थे, लेकिन यह बयान उनकी समझ पर सवाल उठाता है। उन्होंने रामदेव से तुरंत माफी मांगने और अपना बयान वापस लेने की मांग की। इसके साथ ही, उन्होंने लोगों से अपील की कि जब तक रामदेव माफी नहीं मांगते, तब तक पतंजलि के उत्पादों का बहिष्कार किया जाए। मौलाना का मानना है कि इस तरह के बयानों का जवाब सामाजिक और आर्थिक स्तर पर देना जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी टिप्पणियों से बचा जा सके।