जम्मू-कश्मीर और गुजरात में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 3.4 की तीव्रता, कोई हताहत नहीं

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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जम्मू-कश्मीर और गुजरात में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर 3.4 की तीव्रता, कोई हताहत नहीं

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Photo Credit: waseem


जम्मू-कश्मीर और गुजरात में शुक्रवार देर रात धरती कांप उठी, जब दोनों राज्यों में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। मौसम विभाग के अनुसार, गुजरात में भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 थी, जबकि जम्मू-कश्मीर में यह 2.7 मापी गई। राहत की बात यह रही कि इस प्राकृतिक घटना में किसी तरह की जनहानि या संपत्ति के नुकसान की खबर नहीं है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

भूकंप का केंद्र और प्रभाव

मौसम विभाग ने बताया कि गुजरात में भूकंप का केंद्र कच्छ क्षेत्र के पास था, जो भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में झटके श्रीनगर और आसपास के इलाकों में महसूस किए गए। दोनों ही क्षेत्रों में झटके देर रात आए, जिसके कारण अधिकांश लोग अपने घरों में थे। कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि वे हल्की कंपन महसूस होने पर बाहर निकल आए, लेकिन स्थिति जल्द ही सामान्य हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि ये झटके सामान्य भूगर्भीय हलचल का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है।

प्रशासन की सतर्कता और जनता की प्रतिक्रिया

गुजरात और जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने भूकंप के तुरंत बाद स्थिति का जायजा लिया। गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (GSDMA) ने कच्छ और आसपास के क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है। जम्मू-कश्मीर में भी आपदा प्रबंधन टीमें किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने अनुभव साझा किए, जहां कुछ ने इसे हल्का झटका बताया, तो कुछ ने डर की वजह से रात में जागने की बात कही। प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करने की अपील की है।

भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों में सावधानी जरूरी

भारत में जम्मू-कश्मीर और गुजरात जैसे क्षेत्र भूकंप के लिए अति संवेदनशील माने जाते हैं। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र और कच्छ का इलाका टेक्टॉनिक प्लेट्स की गतिविधियों के कारण सक्रिय रहता है। छोटे-मोटे झटके सामान्य हैं, लेकिन इनसे सबक लेकर भूकंपरोधी निर्माण और आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत करना जरूरी है। लोगों को सलाह दी गई है कि वे भूकंप के दौरान सुरक्षित स्थानों पर शरण लें और खुले मैदानों में रहें।