गुलाम नबी आज़ाद का पाकिस्तानी सेना प्रमुख पर तीखा हमला, पहलगाम आतंकी हमले के बाद बयान

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गुलाम नबी आज़ाद का पाकिस्तानी सेना प्रमुख पर तीखा हमला, पहलगाम आतंकी हमले के बाद बयान

ghulam nabi azad

Photo Credit: Social Media


पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने असीम मुनीर को पाकिस्तान के इतिहास का सबसे खराब सेना प्रमुख करार देते हुए कड़े शब्दों में निंदा की। आज़ाद की यह प्रतिक्रिया न केवल उनकी बेबाकी को दर्शाती है, बल्कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के प्रति उनकी गहरी चिंता को भी उजागर करती है।

पहलगाम हमला और पाकिस्तान का रवैया

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बाइसरण मीडोज में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई और 17 अन्य घायल हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकियों ने धार्मिक आधार पर गैर-मुस्लिम पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसने सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की नीति पर फिर से सवाल खड़े किए। गुलाम नबी आज़ाद ने इस हमले को पाकिस्तानी सेना के इशारे पर किया गया कृत्य बताया और जनरल असीम मुनीर की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऐसे हमले न केवल भारत-पाक संबंधों को खराब करते हैं, बल्कि पाकिस्तान की अपनी जनता के लिए भी खतरा बन रहे हैं।

असीम मुनीर पर आज़ाद का प्रहार

गुलाम नबी आज़ाद ने जनरल असीम मुनीर को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी नीतियां और बयानबाजी ने पाकिस्तान को अस्थिरता की ओर धकेल दिया है। हाल ही में असीम मुनीर ने एक सभा में हिंदू-मुस्लिम विभाजन और कश्मीर को पाकिस्तान की “जुगलर वेन” बताने वाले बयान दिए थे, जिसकी भारत और पाकिस्तान दोनों में कड़ी आलोचना हुई। आज़ाद ने इसे गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए कहा कि मुनीर की ऐसी सोच क्षेत्रीय शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तानी सेना का इतिहास हमेशा से लोकतंत्र को कमजोर करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने का रहा है, और मुनीर इसकी सबसे खराब मिसाल हैं।

भारत में लोकतंत्र की ताकत

अपने बयान में आज़ाद ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की तारीफ की और कहा कि भारत की सेना कभी भी राजनीतिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप नहीं करती। उन्होंने पाकिस्तान की जनता के लिए भारत जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था की कामना की, जहां सत्ता जनता के हाथों में हो, न कि सेना के। यह बयान आज़ाद के उस पुराने रुख को दोहराता है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की आम जनता को निर्दोष मानते हुए वहां की सैन्य नीतियों की आलोचना की थी। उनकी यह टिप्पणी न केवल पाकिस्तानी सेना के खिलाफ है, बल्कि क्षेत्र में शांति और सहयोग की दिशा में एक सकारात्मक संदेश भी देती है।