महाकुंभ से लौटते 'हैवान' को पुलिस ने दबोचा: 22 साल में तीन बच्चियों का जीवन तबाह करने वाले की कहानी
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मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसने पिछले 22 सालों में तीन मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी की। 40 वर्षीय रमेश सिंह नाम का यह व्यक्ति शाजापुर जिले का रहने वाला है। उसने अपना पहला अपराध 2003 में किया था, जब उसने एक 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। इस मामले में उसे 10 साल की सजा हुई थी।
जेल से छूटने के बाद फिर से अपराध
2013 में जेल से रिहा होने के बाद रमेश ने अपनी हैवानियत को फिर से अंजाम दिया। इस बार उसने आष्टा (सीहोर) की रहने वाली 8 साल की एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। इस मामले में निचली अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन 2019 में हाई कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। कोर्ट का तर्क था कि बच्ची की शिनाख्त परेड में उसके पिता भी मौजूद थे, इसलिए बच्ची को प्रभावित किया जा सकता था।
तीसरी बार फिर वही जुर्म
रिहा होने के बाद रमेश ने एक बार फिर अपनी हैवानियत दिखाई। 1 फरवरी 2025 को उसने नरसिंहगढ़ (राजगढ़) में 11 साल की एक मूक-बधिर बच्ची का अपहरण किया, उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी। इस घटना ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी।
पुलिस की कड़ी मेहनत
राजगढ़ पुलिस ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया। 16 पुलिस टीमों का गठन किया गया, जिसमें 9 थाना प्रभारी सहित 75 पुलिसकर्मी शामिल थे। पुलिस ने 46 स्थानों पर लगे 136 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की। 17 रेलवे स्टेशनों पर तलाशी अभियान चलाया गया। कुल 418 संदिग्धों की जांच की गई, जिनमें से 22 के डीएनए सैंपल लिए गए।
आरोपी की गिरफ्तारी
जांच के दौरान पता चला कि रमेश अपने 'पाप धोने' के लिए प्रयागराज के महाकुंभ में गया था। पुलिस ने वहां भी अपना जाल बिछाया। आखिरकार, जब वह महाकुंभ से लौट रहा था, तब पुलिस ने उसे ट्रेन से गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी पुलिस की मेहनत और समर्पण का परिणाम थी।
समाज में गुस्सा और चिंता
इस घटना ने समाज में गहरी चिंता और गुस्सा पैदा किया है। लोगों का सवाल है कि कैसे एक व्यक्ति बार-बार ऐसे जघन्य अपराध कर सकता है और फिर भी कानून के चंगुल से बच निकलता है। यह मामला न्यायिक प्रणाली की कमियों को भी उजागर करता है।
कानूनी प्रक्रिया और चुनौतियां
अब जबकि रमेश गिरफ्तार हो चुका है, सबकी नजरें न्यायिक प्रक्रिया पर टिकी हैं। पिछले अनुभवों को देखते हुए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस बार कोई कानूनी खामी न रह जाए जिससे अपराधी बच निकले। पुलिस और अभियोजन पक्ष को मजबूत सबूत पेश करने होंगे ताकि अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।
समाज के लिए सबक
यह मामला समाज के लिए एक गंभीर सबक है। यह बताता है कि हमें अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए कितना सतर्क रहने की जरूरत है। साथ ही, यह कानून प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है, ताकि ऐसे अपराधी दोबारा समाज में न लौट सकें।