मिजोरम की HIV आपदा: 32,000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी खतरे में, क्या है इस 'संकट' का असली कारण?

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मिजोरम की HIV आपदा: 32,000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी खतरे में, क्या है इस 'संकट' का असली कारण?

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Photo Credit: HIV


मिजोरम भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में एक छोटा सा पहाड़ी क्षेत्र है, लेकिन यहां एचआईवी संक्रमण के मामले देश में सबसे ज्यादा हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के आंकड़ों के अनुसार, मिजोरम में वयस्क आबादी में एचआईवी संक्रमण की दर सबसे अधिक है। यहां के 10 लाख से कम आबादी वाले राज्य में अब तक 32,000 से ज्यादा लोगों में एचआईवी की पुष्टि हुई है। इनमें से 2,000 से अधिक लोगों की मौत भी इस बीमारी के कारण हो चुकी है। यह आंकड़ा न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लिए भी चेतावनी की घंटी है।

एचआईवी के बढ़ते मामलों के पीछे के कारण

मिजोरम में एचआईवी के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण नशीली दवाओं का इंजेक्शन के माध्यम से सेवन है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, युवाओं में हेरोइन जैसी नशीली दवाओं का उपयोग बढ़ रहा है, जो सुइयों के माध्यम से फैलता है। यही नहीं, सीमा पार से नशीली दवाओं की तस्करी भी इस समस्या को और बढ़ा रही है। डॉ. निमाई चंद्र दास, एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, बताते हैं कि "नशीली दवाओं के इंजेक्शन के माध्यम से संक्रमण फैलने की दर बहुत तेज है। यहां तक कि स्कूली छात्रों में भी यह प्रवृत्ति बढ़ रही है।"

इसके अलावा, सामाजिक शर्म और जागरूकता की कमी भी इस समस्या को बढ़ावा दे रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग एचआईवी टेस्ट कराने से हिचकिचाते हैं, जिससे संक्रमण का पता देर से चलता है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, "अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच 48,777 लोगों के नमूनों की जांच की गई, जिसमें 960 में एचआईवी की पुष्टि हुई।"

गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा असर

मिजोरम में एचआईवी का सबसे बड़ा प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर देखा जा रहा है। नागालैंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के निदेशक डॉ. आहू सेखोसे के अनुसार, "गर्भवती महिलाओं में एचआईवी संक्रमण की दर दूसरे राज्यों के मुकाबले अधिक है। यहां तक कि कुछ मामलों में माता-पिता दोनों सरकारी नौकरी में होने के बावजूद बच्चों की नशीली दवाओं की आदतों को नजरअंदाज किया जाता है।"

यह समस्या इतनी गंभीर है कि राज्य सरकार ने अब गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष जांच कार्यक्रम शुरू किए हैं। हालांकि, सीमित संसाधनों और दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच की कमी इस प्रयास को बाधित कर रही है।

सरकार के प्रयास और चुनौतियां

मिजोरम सरकार ने एचआईवी नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। 1999 में राज्य में एड्स कंट्रोल सोसाइटी का गठन किया गया था, जो नियमित जांच और उपचार कार्यक्रम चलाती है। इसके अलावा, स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। हालांकि, नशीली दवाओं की तस्करी और सीमा पार से आने वाली चुनौतियों ने इन प्रयासों को कमजोर कर दिया है।

एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया, "हमने सीमा सुरक्षा बलों के साथ मिलकर नशीली दवाओं की तस्करी रोकने के लिए अभियान चलाए हैं, लेकिन यह समस्या अभी भी जारी है।" इसके अलावा, गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर युवाओं को नशीली दवाओं से दूर रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।