मोहन भागवत का वाराणसी दौरा: RSS में मुसलमानों को शामिल करने की बात ने मचाई हलचल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत हाल ही में वाराणसी के चार दिवसीय दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने एक ऐसा बयान दिया जिसने सबका ध्यान खींच लिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जो मुसलमान भारत माता की जय का नारा लगाते हैं और भगवा झंडे का सम्मान करते हैं, वे RSS की शाखाओं में शामिल हो सकते हैं। यह बयान सोशल मीडिया से लेकर आम चर्चाओं तक छाया हुआ है। आइए, इस दौरे और बयान के पीछे की कहानी को समझते हैं।
वाराणसी में चार दिन: क्या थी मंशा?
मोहन भागवत का वाराणसी दौरा कोई साधारण यात्रा नहीं थी। काशी, जो हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र मानी जाती है, वहां RSS प्रमुख ने संगठन के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां उनके उस बयान ने बटोरीं, जिसमें उन्होंने मुसलमानों को RSS का हिस्सा बनने का न्योता दिया। यह पहली बार नहीं है जब भागवत ने समावेशी रुख दिखाया हो, लेकिन इस बार उनकी बात ने नया रंग लिया है।
भारत माता और भगवा का सम्मान है शर्त
भागवत ने साफ कहा कि RSS के दरवाजे हर उस शख्स के लिए खुले हैं जो भारत माता की जय कहने और भगवा झंडे की इज्जत करने को तैयार हो। उनके इस बयान को कुछ लोग एकता का संदेश मान रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक दांव के तौर पर देख रहे हैं। RSS, जो हमेशा से अपनी हिंदुत्व की विचारधारा के लिए जानी जाती है, अब इस बयान से क्या संदेश देना चाहती है? क्या ये संगठन की सोच में बदलाव का इशारा है या फिर एक सोची-समझी रणनीति? ये सवाल हर किसी के मन में घूम रहा है।