सड़क पर नमाज़ को लेकर इकरा हसन का बड़ा बयान, कोई नहीं रोक सकता

कैराना की युवा और ऊर्जावान सांसद इकरा हसन ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया, जो सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने सड़क पर नमाज़ पढ़ने के मुद्दे पर खुलकर कहा कि यह देश की पुरानी परंपरा का हिस्सा है और आगे भी जारी रहेगा। इकरा का मानना है कि हर धर्म के लोग सड़क पर अपने तरीके से उत्सव या प्रार्थना करते हैं, तो फिर 10 मिनट की नमाज़ से किसी को परेशानी क्यों होनी चाहिए? उनका यह बयान न सिर्फ लोगों के बीच बहस छेड़ गया है, बल्कि इसने सुप्रीम कोर्ट तक का ध्यान खींचने की मांग भी उठाई है। आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं।
परंपरा या परेशानी: कहां से शुरू हुआ विवाद?
भारत एक ऐसा देश है, जहां हर धर्म और संस्कृति को अपने रंग दिखाने की आज़ादी रही है। चाहे होली का रंगों भरा जुलूस हो, गणेश चतुर्थी की भव्य शोभायात्रा हो या फिर ईद की नमाज़—सड़कों पर ये सब आम हैं। इकरा हसन ने इसी बात को आधार बनाते हुए कहा कि अगर हर मजहब को अपने तरीके से सड़क पर कुछ पल बिताने का हक है, तो नमाज़ को लेकर हंगामा क्यों? उनका कहना है कि यह महज 10 मिनट की बात है, जो न तो ट्रैफिक को लंबे समय तक रोकती है और न ही किसी बड़े व्यवधान का कारण बनती है। लेकिन क्या यह इतना आसान है, जितना दिखता है?
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका क्यों ज़रूरी?
इकरा ने अपने बयान में सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने की बात कही। उनके मुताबिक, अगर इस पर कोई स्पष्ट नीति या फैसला आ जाए, तो बार-बार होने वाली बहस और विवाद खत्म हो सकते हैं।
"मेरी छत पर मैं क्या करूं..किसी और को ये बताने का अधिकार नहीं है"
— News24 (@news24tvchannel) March 28, 2025
◆ सपा सांसद इकरा हसन ने कहा@kumarrgaurrav | #IqraHasan | #Meerut pic.twitter.com/OLQeMzpjf9