पादरी बजिंदर सिंह को उम्रकैद, नशीला पदार्थ देकर किया था बलात्कार

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

  1. Home
  2. National

पादरी बजिंदर सिंह को उम्रकैद, नशीला पदार्थ देकर किया था बलात्कार

baljinder

Photo Credit: Social Media


मोहाली की जिला अदालत ने आज एक ऐसा फैसला सुनाया जो न सिर्फ पंजाब बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। पादरी बजिंदर सिंह, जो अपने चमत्कारों और विवादों के लिए जाने जाते हैं, को 2018 के एक रेप केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया था जब एक महिला ने उन पर नशीला पदार्थ देकर बलात्कार करने का गंभीर आरोप लगाया था। सात साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद, पीड़िता को आखिरकार इंसाफ मिला, और यह फैसला समाज में एक सख्त संदेश देता है।

सात साल की लंबी लड़ाई का अंत

यह कहानी शुरू हुई 2018 में, जब पीड़िता ने बजिंदर सिंह के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की थी। उसने बताया कि पादरी ने उसे विदेश ले जाने का लालच देकर अपने जाल में फंसाया और फिर उसका यौन शोषण किया। इतना ही नहीं, उसने यह भी दावा किया कि पादरी ने इस घिनौने कृत्य का वीडियो बनाया था। पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि इन सात सालों में वह हर दिन इंसाफ की उम्मीद में पुलिस और अदालत के चक्कर काटती रही। 28 मार्च 2025 को कोर्ट ने बजिंदर को दोषी ठहराया, और आज, 1 अप्रैल 2025 को, उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

चमत्कारों का दावा करने वाला पादरी

बजिंदर सिंह कोई साधारण शख्स नहीं थे। वह अपने अनुयायियों के बीच "यशु-यशु" कहकर चमत्कार करने के दावों के लिए मशहूर थे। मरे हुए को जिंदा करने और कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक करने की बातें उनके चर्च में आम थीं। लेकिन इन चमत्कारों के पीछे एक काला सच छिपा था। उन पर पहले भी छेड़छाड़ और धर्मांतरण जैसे संगीन आरोप लग चुके थे। यह सजा न सिर्फ उनके अनुयायियों के लिए झटका है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि आस्था के नाम पर लोग कब तक अंधे बने रहेंगे।

समाज के लिए एक सबक

मोहाली कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला सिर्फ एक सजा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। यह बताता है कि कानून की नजर में कोई भी ऊंचा-नीचा नहीं। पीड़िता की हिम्मत और कोर्ट की निष्पक्षता ने यह साबित कर दिया कि सच को दबाया नहीं जा सकता। लोग अब इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी राय रख रहे हैं। कुछ इसे इंसाफ की जीत मान रहे हैं, तो कुछ बजिंदर के समर्थक इसे साजिश बता रहे हैं। लेकिन सच यह है कि यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि शक्ति और प्रभाव का दुरुपयोग कितना खतरनाक हो सकता है।