सैनिटरी पैड पर छपी राहुल गांधी की फोटो! कांग्रेस ने बताई सच्चाई

बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की रणनीतियां हमेशा चर्चा का विषय रहती हैं। इस बार कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए एक ऐसी पहल शुरू की, जिसने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में हलचल मचा दी। पार्टी ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 5 लाख सैनिटरी पैड मुफ्त बांटने का अभियान शुरू किया, जिसे "स्वास्थ्य भी, सम्मान भी" नाम दिया गया। लेकिन इस अभियान का एक पहलू इतना चौंकाने वाला था कि सोशल मीडिया पर तुरंत तीखी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया। सैनिटरी पैड्स के पैकेट्स पर और यहां तक कि पैड की अंदरूनी परत पर भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीर छपी हुई थी।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और तस्वीरें
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब कुछ लोगों ने सैनिटरी पैड्स खोलने की वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे ट्विटर और फेसबुक पर शेयर कीं। इन वीडियोज में साफ दिख रहा था कि पैड की सतह पर राहुल गांधी की तस्वीर छपी है, जिसके बाद लोग हैरान रह गए। कुछ ने इसे कांग्रेस की "क्रिएटिव मार्केटिंग" और महिलाओं तक पहुंचने की अनोखी रणनीति बताया, तो कुछ ने इसे महिलाओं की गरिमा के खिलाफ और अशोभनीय करार दिया। इस मुद्दे ने न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि आम लोगों के बीच भी बहस छेड़ दी।
कांग्रेस की रणनीति: जागरूकता या प्रचार?
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की अगुवाई में शुरू किए गए इस अभियान का मकसद ग्रामीण इलाकों में मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैलाना था। पार्टी का कहना है कि यह अभियान महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है और खासकर उन क्षेत्रों में जागरूकता लाने की कोशिश करता है जहां सैनिटरी नैपकिन का उपयोग अभी भी सीमित है। लेकिन सैनिटरी पैड पर राहुल गांधी की तस्वीर छापने का फैसला कई लोगों को समझ से परे लगा। क्या यह वाकई में जागरूकता बढ़ाने का तरीका था, या सिर्फ एक सस्ता प्रचार स्टंट? इस सवाल ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस को जन्म दिया।
विपक्ष और सामाजिक संगठनों का गुस्सा
विपक्षी दलों ने इस कदम को "शर्मनाक" और "महिलाओं का अपमान" करार दिया। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस अभियान की आलोचना करते हुए कहा कि सैनिटरी पैड जैसे निजी और संवेदनशील उत्पाद पर किसी नेता की तस्वीर छापना न केवल अनुचित है, बल्कि यह मासिक धर्म से जुड़ी सामाजिक वर्जनाओं को और बढ़ावा दे सकता है। कुछ यूजर्स ने ट्विटर पर लिखा, "क्या कांग्रेस को लगता है कि यह महिलाओं को सशक्त बनाने का तरीका है? यह तो उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।"
हालांकि, कांग्रेस ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। पार्टी ने एक आधिकारिक वीडियो जारी कर स्पष्ट किया कि वायरल हो रही तस्वीरें और वीडियो फर्जी हैं। असल में, सेनेटरी पैड के बॉक्स पर योजना का नाम और लोगो तो है, लेकिन राहुल गांधी की तस्वीर को गलत तरीके से प्रचारित किया जा रहा है। यह पहल महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए है, न कि किसी व्यक्तिगत प्रचार के लिए।
सच्चाई और जवाबदेही का सवाल
कांग्रेस की इस पहल और उससे जुड़े विवाद ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या राजनीतिक दल वास्तव में जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हैं या यह सब वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है? सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलने से न केवल इस योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि यह भी चर्चा हो रही है कि ऐसी गलत सूचनाओं को कैसे रोका जाए। कांग्रेस ने लोगों से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लें और फर्जी खबरों पर भरोसा न करें।