महिला दिवस पर रोहिणी खडसे की चौंकाने वाली मांग: 'महिलाओं को एक हत्या की छूट दो!

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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महिला दिवस पर रोहिणी खडसे की चौंकाने वाली मांग: 'महिलाओं को एक हत्या की छूट दो!

Rohini Khadse

Photo Credit: Rohini Khadse


हर साल 8 मार्च को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की ताकत, उनकी उपलब्धियों और समाज में उनके योगदान को याद करने का मौका होता है। लेकिन इस बार महिला दिवस पर एक ऐसी खबर सामने आई, जिसने सबको हैरान कर दिया। महाराष्ट्र की मशहूर नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की महिला शाखा की अध्यक्ष रोहिणी खडसे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने एक ऐसी मांग रखी, जिसे सुनकर लोग सोच में पड़ गए। रोहिणी खडसे ने कहा कि महिलाओं को एक हत्या करने की छूट दी जानी चाहिए। यह मांग न सिर्फ अजीब है, बल्कि इसने सियासत और समाज में बड़ी चर्चा छेड़ दी है।

पत्र में क्या लिखा

रोहिणी खडसे ने अपने पत्र में राष्ट्रपति को महिला दिवस की शुभकामनाएँ दीं और फिर अपनी बात शुरू की। उन्होंने लिखा कि हमारा देश महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी की धरती है, जो शांति और अहिंसा के प्रतीक हैं। लेकिन इसके बावजूद आज देश में महिलाएँ सुरक्षित नहीं हैं। हर दिन उनके साथ होने वाली हिंसा और अत्याचार की खबरें सामने आती हैं। रोहिणी ने इस बात को गंभीरता से उठाया और कहा कि महिलाओं को अपनी रक्षा के लिए कुछ करना होगा। इसी सोच के साथ उन्होंने राष्ट्रपति से यह अनुरोध किया कि महिलाओं को एक हत्या करने की छूट दी जाए। उनका कहना था कि यह मांग महिलाओं की परेशानियों को देखते हुए उठाई गई है।

अत्याचारों का हवाला

रोहिणी खडसे ने अपने पत्र में हाल की एक घटना का जिक्र किया, जिसने सबको झकझोर दिया था। उन्होंने मुंबई में हुई 12 साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना को याद दिलाया। उनका कहना था कि जब देश की आर्थिक राजधानी में ऐसी घटनाएँ हो रही हैं, तो पूरे देश की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। रोहिणी ने यह भी लिखा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने एक सर्वे का हवाला दिया, जिसमें भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया गया। इस सर्वे में अपहरण, घरेलू हिंसा और दूसरी परेशानियों का जिक्र था। इन सबको देखते हुए रोहिणी ने अपनी मांग को जायज ठहराया।

महिलाओं की असुरक्षा का सवाल

रोहिणी खडसे ने अपने पत्र में महिलाओं की असुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाया। उनका कहना था कि आज महिलाएँ न तो घर में सुरक्षित हैं और न ही बाहर। हर दिन ऐसी खबरें आती हैं, जो दिल को दहला देती हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब कानून और व्यवस्था महिलाओं को सुरक्षा नहीं दे पा रही, तो उन्हें अपने लिए क्या करना चाहिए। रोहिणी का मानना है कि अगर महिलाओं को एक हत्या की छूट मिले, तो वे अपनी रक्षा खुद कर सकेंगी। यह मांग भले ही अटपटी लगे, लेकिन इसके पीछे उनकी सोच यह थी कि समाज और सरकार को महिलाओं की तकलीफों पर ध्यान देना चाहिए।


ऐतिहासिक उदाहरणों का जिक्र

रोहिणी खडसे ने अपने पत्र में इतिहास की मशहूर महिलाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने महारानी तारारानी और अहिल्याबाई होल्कर का नाम लिया, जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ी थीं। उनका कहना था कि जब ये महान महिलाएँ अपने देश के लिए हथियार उठा सकती हैं, तो आज की महिलाएँ समाज को बेहतर बनाने के लिए पीछे क्यों रहें। रोहिणी ने इस बात को जोर देकर कहा कि उनकी यह मांग महिलाओं को ताकत देने और उनकी आवाज को बुलंद करने का एक तरीका है। यह उदाहरण उनकी सोच को और मजबूत करते हैं कि महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ना चाहिए।

सियासत में हंगामा

रोहिणी खडसे की इस मांग ने सियासत में हलचल मचा दी। जैसे ही यह पत्र सामने आया, लोग दो हिस्सों में बँट गए। कुछ लोगों ने इसे महिलाओं की तकलीफ को उठाने का एक नया तरीका बताया, तो कुछ ने इसे गलत और अजीब कहा। विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए और कहा कि यह मांग शांति के देश में हिंसा को बढ़ावा दे सकती है। दूसरी ओर, रोहिणी के समर्थकों का कहना था कि यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक मांग है, जिसका मकसद सरकार और समाज का ध्यान महिलाओं की परेशानियों की ओर खींचना है। इस मांग ने सियासी गलियारों में बहस छेड़ दी, और हर कोई इस पर अपनी राय दे रहा है।