महाराष्ट्र में फैला 'साइलेंट किलर': GBS ने ली 9 जानें, 200 से ज्यादा संक्रमित!

महाराष्ट्र इन दिनों एक नई स्वास्थ्य चुनौती का सामना कर रहा है। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) नामक एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार ने राज्य में अपने पांव पसार लिए हैं। यह बीमारी, जो पहले कभी-कभार ही देखने को मिलती थी, अब एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, राज्य में GBS के मामलों की संख्या बढ़कर 207 हो गई है, जबकि इस बीमारी से अब तक 9 लोगों की जान जा चुकी है।
GBS का प्रकोप: पुणे से मुंबई तक
GBS का यह प्रकोप सबसे पहले पुणे में देखा गया, जहां जनवरी के अंत में कई मामले सामने आए। धीरे-धीरे, यह बीमारी राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गई। मुंबई, जो कि देश की आर्थिक राजधानी है, भी इससे अछूती नहीं रही। मुंबई के नायर अस्पताल में 53 वर्षीय एक मरीज की मौत ने शहर में हड़कंप मचा दिया। यह मुंबई में GBS से होने वाली पहली मौत थी।
GBS क्या है और कैसे फैलता है?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है। इस बीमारी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिका तंत्र पर हमला कर देती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और कई मामलों में लकवा भी मार सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि GBS अक्सर किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होता है।
लक्षण और निदान
GBS के प्रारंभिक लक्षण स्वाइन फ्लू जैसे होते हैं, जिसमें सर्दी, जुकाम और तेज बुखार शामिल हैं। धीरे-धीरे, मरीज को अपने हाथ-पैरों में कमजोरी महसूस होने लगती है। कुछ मामलों में, यह कमजोरी इतनी बढ़ जाती है कि मरीज को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसी स्थिति में वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ सकती है।
महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि सभी सरकारी अस्पतालों में GBS मरीजों के इलाज के लिए विशेष व्यवस्था की जाए। साथ ही, केंद्र सरकार ने भी एक सात सदस्यीय टीम महाराष्ट्र भेजी है जो स्थिति का जायजा ले रही है और राज्य सरकार को आवश्यक सलाह दे रही है।
बचाव के उपाय
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी है। इनमें शामिल हैं:
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केवल उबला हुआ या बोतलबंद पानी पीना
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फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाना
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मांस और चिकन को अच्छी तरह पकाकर खाना
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कच्चे या अधपके खाने से बचना, विशेषकर सलाद, अंडे और समुद्री भोजन
चिकित्सा विशेषज्ञों की राय
डॉक्टरों का कहना है कि यद्यपि GBS एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसका इलाज संभव है। समय पर निदान और उचित चिकित्सा से अधिकांश मरीज ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में रिकवरी में लंबा समय लग सकता है।
आगे की चुनौतियां
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है GBS के प्रसार को रोकना और लोगों में जागरूकता फैलाना। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन और दवाइयां उपलब्ध हों।