वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, कांग्रेस का सरकार पर तीखा हमला

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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, कांग्रेस का सरकार पर तीखा हमला

abhishek

Photo Credit: Social Media


भारत में वक्फ कानून को लेकर चल रही बहस ने एक नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 को इस मामले पर सुनवाई हुई, और अगली तारीख 5 मई तय की गई है। इस बीच, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार के रवैये को धार्मिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के खिलाफ बताया है। आइए, इस मामले को गहराई से समझें और जानें कि यह क्यों इतना महत्वपूर्ण है।

वक्फ कानून: एक संवेदनशील मुद्दा

वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा है। यह कानून वक्फ बोर्ड को जमीन और संपत्ति के संचालन का अधिकार देता है। लेकिन हाल के समय में सरकार द्वारा प्रस्तावित बदलावों ने विवाद को जन्म दिया है। कांग्रेस का कहना है कि ये बदलाव न सिर्फ संविधान के मूल सिद्धांतों को चुनौती देते हैं, बल्कि मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर भी चोट करते हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार का दावा सुधार का है, लेकिन यह वास्तव में स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश है।

सुप्रीम कोर्ट का रुख: यथास्थिति बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सावधानी बरतते हुए स्पष्ट किया है कि जब तक अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 9 और 14 का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति को बनाए रखा जाए। विशेष रूप से, वक्फ कानून के प्रावधान 3(आर), जो वक्फ बोर्ड को यूजर के रूप में मान्यता देता था, को नए कानून में हटाने का प्रस्ताव था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी रोक लगा दी है। यह फैसला मुस्लिम समुदाय के लिए राहत की बात है, लेकिन मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है।

कांग्रेस का आरोप: सरकार का अतिक्रमण

अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने खुद वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण किया है। उन्होंने 1950-60 के दशक के कानूनों को संविधान का आधार बताते हुए कहा कि इन कानूनों में बदलाव संवैधानिक भावना के खिलाफ है। सिंघवी ने यह भी जोड़ा कि वक्फ बोर्ड का संचालन हमेशा मुस्लिम समुदाय के हाथों में रहा है, लेकिन नए नियमों में 100% नामांकन की बात से इस स्वतंत्रता को खतरा है। कांग्रेस ने वादा किया है कि वह संसद के अंदर और बाहर इस मुद्दे पर जोरदार तरीके से लड़ेगी।

धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान का सवाल

यह मामला सिर्फ वक्फ बोर्ड या जमीन के प्रबंधन तक सीमित नहीं है। यह धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और आत्मनिर्णय जैसे संवैधानिक मूल्यों से जुड़ा है। कांग्रेस का तर्क है कि सरकार के प्रस्तावित बदलाव संविधान के बुनियादी ढांचे को कमजोर करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वक्फ कानून में बदलाव का असर न सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा, बल्कि यह भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पर भी सवाल उठा सकता है।

जनता के लिए क्या मायने रखता है?

वक्फ कानून का यह विवाद आम लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। वक्फ की संपत्तियां मस्जिदों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य सामुदायिक कार्यों के लिए इस्तेमाल होती हैं। अगर इनके प्रबंधन में बदलाव होता है, तो इसका असर सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों पर पड़ सकता है। कांग्रेस का कहना है कि वह जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इस मामले को हर मंच पर उठाएगी।