दिल्ली की सियासत में मुस्लिम चेहरों का जलवा कम हुआ! जानिए कौन-कौन पहुंचा विधानसभा

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दिल्ली की सियासत में मुस्लिम चेहरों का जलवा कम हुआ! जानिए कौन-कौन पहुंचा विधानसभा

Amanatulla Khan

Photo Credit: Amanatulla Khan


दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजधानी की राजनीति में कई नए समीकरण बना दिए हैं। इस बार के चुनाव में मुस्लिम प्रतिनिधित्व के मोर्चे पर कुछ बदलाव देखने को मिले हैं। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार मुस्लिम विधायकों की संख्या में कमी आई है, जो कि राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

2025 के विधानसभा चुनाव में कुल चार मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। ये सभी विजयी प्रत्याशी आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। 2020 के चुनाव में जहां पांच मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे, वहीं इस बार यह संख्या घटकर चार रह गई है। यह गिरावट मुस्लिम समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आई है।

इस बार के चुनाव में जीतने वाले मुस्लिम विधायकों में ओखला से अमानतुल्लाह खान, मटिया महल से आले मुहम्मद इकबाल, बल्लीमारन से इमरान हुसैन और सीलमपुर से चौधरी जुबैर अहमद शामिल हैं। ये सभी AAP के दिग्गज नेता हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत पकड़ बनाए रखी है।हालांकि, इस बार के चुनाव में एक बड़ा उलटफेर मुस्तफाबाद सीट पर देखने को मिला। यह सीट पिछले चुनाव में AAP के खाते में थी, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यहां से जीत हासिल की है। BJP के मोहन सिंह बिष्ट ने AAP के अदील अहमद खान को हराकर यह सीट अपने नाम की है। यह जीत BJP के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि मुस्तफाबाद में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है।2020 के चुनाव में AAP ने पांच मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और सभी पर जीत हासिल की थी। इन सीटों में मटियामहल, ओखला, सीलमपुर, मुस्तफाबाद और बल्लीमारन शामिल थे।

लेकिन इस बार मुस्तफाबाद सीट पर AAP को हार का सामना करना पड़ा है।इस चुनाव में एक और दिलचस्प पहलू यह रहा कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने भी कुछ मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, AIMIM को कोई सफलता नहीं मिली और उसके सभी उम्मीदवार हार गए। मुस्तफाबाद सीट पर AIMIM ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को टिकट दिया था, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे।दिल्ली की राजनीति में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। राजधानी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 13 प्रतिशत है। पिछले कुछ चुनावों से मुस्लिम वोट बैंक AAP की ओर झुका हुआ था, जो पहले कांग्रेस के साथ था। इस बार भी AAP ने मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अपना दबदबा बनाए रखा है, लेकिन एक सीट के नुकसान ने पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिम प्रतिनिधित्व में आई यह कमी कई कारणों का परिणाम हो सकती है। एक तो BJP ने इस बार मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए ज़ोरदार प्रयास किए। दूसरा, AIMIM जैसी पार्टियों के चुनाव मैदान में उतरने से मुस्लिम वोट बंट गया, जिसका फायदा कुछ सीटों पर BJP को मिला।AAP के लिए यह चिंता का विषय है कि उसके मुस्लिम वोट बैंक में दरार आई है। पार्टी को अब इस पर गंभीरता से विचार करना होगा कि आने वाले समय में वह मुस्लिम समुदाय का विश्वास कैसे बनाए रखेगी। वहीं BJP के लिए मुस्तफाबाद में मिली जीत एक बड़ी उपलब्धि है, जिससे पार्टी को मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने का मौका मिल सकता है।