बीजेपी नेता का खुलासा, लव जिहाद पर क्या बोले शाहनवाज?

भारत में "लव जिहाद" का मुद्दा अक्सर सुर्खियों में रहता है और इस पर जमकर सियासत होती है। लेकिन जब बात दिल से दिल तक की मोहब्बत की आती है, तो क्या सचमुच इसमें कोई साजिश हो सकती है? बीजेपी के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने अपनी जिंदगी की किताब से एक ऐसा पन्ना खोला, जो न सिर्फ उनकी प्रेम कहानी को बयां करता है, बल्कि "लव जिहाद" जैसे विवादित शब्द पर भी नई रोशनी डालता है। शाहनवाज, जो खुद मुस्लिम हैं, और उनकी हिंदू पत्नी रेणु ने प्रेम विवाह किया। उनकी ये कहानी आज भी लोगों के लिए मिसाल है। तो आइए, जानते हैं कि शाहनवाज ने इस मुद्दे पर क्या कहा और उनकी प्रेम कहानी कैसे बनी एक खूबसूरत हकीकत।
"उस वक्त लव जिहाद शब्द भी नहीं था"
एबीपी न्यूज के एक सवाल के जवाब में शाहनवाज हुसैन ने हल्के-फुल्के अंदाज में अपनी बात रखी। जब उनसे पूछा गया कि उनकी पार्टी "लव जिहाद" का मुद्दा उठाती है, तो क्या उनकी शादी के वक्त उन पर भी ऐसे आरोप लगे थे? इस पर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "उस जमाने में शायद ये शब्द बना ही नहीं था। हमारा तो बस प्यार था, कोई जिहाद नहीं। सब कुछ बहुत स्वाभाविक था। रेणु की आंखें मुझे बेहद खूबसूरत लगीं और बस, आंखों-आंखों में ही इश्क हो गया।" उनकी ये सादगी और ईमानदारी लोगों का दिल जीत लेती है।
शाहनवाज ने आगे कहा कि प्यार में कोई बुराई नहीं है। अगर कोई प्लान बनाकर, किसी को धोखा देकर शादी करता है, तो वो गलत है। लेकिन सच्ची मोहब्बत तो धर्म और जात की दीवारों को पार कर जाती है। "आजकल लोग खुलकर प्यार करते हैं। मोहब्बत हमेशा रहेगी, लेकिन लव जिहाद का ये ढोंग नहीं चलना चाहिए," उन्होंने जोड़ा। जब उनसे पूछा गया कि अगर आज के दौर में उनकी प्रेम कहानी शुरू होती, तो क्या उन पर भी लव जिहाद का इल्जाम लगता? इस पर वे बोले, "क्यों लगता? 31 साल से हम साथ हैं। जब दिल से दिल मिले, तो इल्जाम की क्या गुंजाइश?"
कॉलेज के दिनों में शुरू हुई ये लव स्टोरी
शाहनवाज और रेणु की प्रेम कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। बात 1986 की है, जब शाहनवाज कॉलेज में ग्रेजुएशन कर रहे थे। उसी कॉलेज में पढ़ने वाली रेणु पर उनकी नजर पड़ी। एक मुस्लिम लड़के और हिंदू लड़की के बीच प्यार का बीज बोया गया। शाहनवाज बताते हैं कि रेणु को देखने के लिए वे उसी बस में सफर करने लगे, जिससे रेणु जाती थी। ये छोटी-छोटी मुलाकातें धीरे-धीरे गहरे प्यार में बदल गईं। करीब 9 साल तक एक-दूसरे को समझने के बाद दोनों ने परिवार की रजामंदी से शादी कर ली। आज उनके दो बेटे, अदिब और अरबाज, इस प्यार की मिसाल हैं।
प्यार की कोई साजिश नहीं होती
शाहनवाज हुसैन की ये कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हर अंतरधार्मिक शादी को "लव जिहाद" का नाम देना सही है? उनकी जिंदगी का अनुभव बताता है कि सच्चा प्यार साजिश नहीं, बल्कि एहसास होता है। उनकी बातों में एक आम इंसान की सादगी झलकती है, जो राजनीति के शोर से परे अपनी निजी जिंदगी को खुलकर जीता है।